Monday 4 May 2020

युवा कवि हेत राम भार्गव / "कहो मुझे भगवान" और अन्य कविता

1 कहो मुझे भगवान


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जब जन्मीं ममता के आंचल,
हंसकर मां ने गले लगाया l
सबने बता कर भार घर का
खुशियों से मुझको ठुकराया l
तूँ ही बता मेरी जग में, है कैसी पहचान l
मैं कैसी रचना तेरी हूं , कहो मुझे भगवान ?

शिशु का रोना मेरा
सब के कानों को कहराता l
पिता के पैरों की मैं बेड़ियां
हर कोई मुझे यही बताता था l
तूँ बता ईश्वर मुझको कहां मिलेगा सम्मान ?
मैं कैसी रचना तेरी हूं, कहो मुझे भगवान ?

टपकते आंसुओं सा बचपन,
कोई समझ नहीं पाया l
सब के बाद की पात्र कहकर
बेटों से अलग बताया l
घुटती रही इच्छाएं मेरी, टूटते रहे अरमान l
मैं कैसी रचना तेरी हूं, कहो मुझे भगवान ?

सदा पराया कहकर मुझको,
भाई जितना मान न पाया l
अबला मानकर वंचित किया,
कहीं पूरा सम्मान न पाया l
प्राण है मुझ में, प्रतिवेदना भी, मुझ में भी है जान l
मैं कैसी रचना तेरी हूं ! कहो मुझे भगवान ?
नहीं पढ़ाया मुझको इतना,

नहीं मिल पायी सुविधाएं l
लड़की होने की अपराधिन,
बनी जीवन की बाधाएं l
सदा उलाहना में बीता, जीवन बनकर वर्तमान l
मैं कैसी रचना तेरी हूं, कहो मुझे भगवान ?

हंसी-खुशी खेल की ठिठोली,
खुलकर खेल भी न पायी l
जिस मां ने जन्म दिया,
वह भी कहती मुझे परायी l
धन पराया साबित हो गई, होकर सनाथ संतान l
मैं कैसी रचना तेरी हूं ! कहो मुझे भगवान ?

मेहंदी रची हाथों पर मेरे,
जब हुई मेरी विदाई l
पराए घर जा रही थी,
मैं होकर ओर भी परायी l
धन्य हुए माता-पिता मेरे, करके मेरा कन्यादान l
मैं कैसी रचना तेरी हूं , कहो मुझे भगवान ?

बेटी थी तब भी परायी,
बहू बनकर भी ओर परायी
काट रही हूं अपना जीवन l
ईश्वर! होकर तेरी परछाई l
सब मौन है इस प्रश्न पर, मैं हूं किसका स्वाभिमान ?
मैं कैसी रचना तेरी हूं, कहो मुझे भगवान ?


2. बेटी : चित्कार मेरी

कोई छोड़ गई निर्मोही ममता

मुझे जन्म देने के बाद 
क्यों रचना की तुमने प्रभु
सुन मेरी फरियाद l
मैं रो रही थी कचरे के ढेर में
किसी ने नहीं सुनी मेरी पुकार l
कीड़े मुझको काट रहे थे
कोई नहीं सुन पाया मेरी चित्कार ll
नोच नोच कर कुत्तों ने खाया
फिर भी बचे रहे मेरे प्राण l
निर्दयी हुई मेरी ममता कितनी
उतना ही तू निर्दयी भगवान ll
चीखना मेरा सुनकर कोई
दौड़कर वहां पर आया l
गोद उठाकर मुझको उसने
अपने गले लगाया ll
ममत्व प्यार लुटा कर
उसने वात्सल्य में पाला l
खिली कली मैं, उसकी बेटी
वह भगवान सा मेरा रखवाला l
बेटी होना अपराध क्यों है
यह समझ में नहीं आया l
जब बेटी ही है सृजना सृष्टि की
जिसे भगवान ने स्वयं बनाया l

कवि- हेतराम भार्गव  "हिंदी जुड़वाँ "
परिचय - (हिन्दी शिक्षक) राजकीय मॉडल उच्चतर शिक्षा विद्यालय करसान चंडीगढ़
शिक्षा विभाग केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़
कवि का ईमेल आईडी - hindijudwaan@gmail.com
प्रतिक्रिया हेतु ब्लॉग का ईमेल आईडी - editorbejodindia@gmail.com