Sunday 27 October 2019

रौशनी का पावन पर्व है / कवि - आनन्द रंजन 'पथिक'

कविता

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रौशनी का पावन पर्व है
किरण खुशियों के बिखेरें
उम्मीदों से लबरेज़ दीये से
सुंदर कल के चित्र उकेरें

मौका लक्ष्मी पूजन का है
तिजोरी को भी साजे सँवारे
फल तो आपकी मेहनत का है
आस्था को पर न कमतर आंकें

श्रीगणेश नवजीवन का है करना 
राह पथरीली सही पग बढाये चलें
दीपावली का पावन त्यौहार है
शुभकामनायें 'पथिक' की स्वीकार लें

ग़म में भी उल्लास खोज लें
उमंगों से उच्छ्वास करें
चाहे कितना भी कठिन समय हो
अपने ईश्वर पर विश्वास करें 
...
कवि - आनंद रंजन 'पथिक'
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल - editorbejodindia@yahoo.com

Photo courtesy - Sri Amar Kr. Das

दीपावली का चित्र साभार - स्वरम उपाध्याय के वाल से /
संदेश - आतिशबाजी का उपयोग कम से कम करें ताकि अपने फेफड़ों को हम बचा सकें और जीवित रह पाएँ

Saturday 26 October 2019

दीपावली मंगलमय हो! / कवि - बाबा बैद्यनाथ झा

"कुण्डलिया छन्द"

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               १                 
दीप  जलाएँ  नित्य  ही,  मिलने  पर  अवकाश।
ज्योति जले जब ज्ञान की, तब हो दिव्य प्रकाश।

तब   हो  दिव्य  प्रकाश, दिलाएँ  सबको शिक्षा।
बाँटें   प्रतिदिन  ज्ञान,  योग्य   से  लेकर  दीक्षा।।

जहाँ   अशिक्षित  लोग, गाँव  में  उनके  जाएँ।
देकर  शिक्षा  दान,  ज्ञान   का    दीप  जलाएँ।।

             २                
आती   शुभ   दीपावली,   दीप   जलाते  लोग।
एक  वर्ष   के   बाद  ही, आता यह  शुभ योग।।

आता यह शुभ योग, क्षणिक द्योतित जग होता।
            जले  ज्ञान  का  दीप, शुभ्र ज्योतित  मग होता।           

दिव्य ज्ञान  की ज्योति, सदा  सबको  है भाती।
रखता   है  जो  पास,  प्रतिष्ठा   दौड़ी   आती।।
....
कवि - बाबा वैद्यनाथ झा
कवि का ईमेल - jhababa55@yahoo.com
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल - editorbejodindia@yahoo.com

दीपावली के दीप / कवयित्री - सुमन यादव

कविता

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 इस दीपावली के दीप कुछ ऐसे हों 
जैसे फिजाओं में बहार हो 
खुशियों का उन्माद हो 
पूरे जहाँ में प्रकाश हो

इस दीपावली के दीप कुछ ऐसे हों 
जैसे जगमगाती रात हो 
दीपों की बारात हो 
अपनों का साथ हो 

इस दीपावली के दीप कुछ ऐसे हों 
जैसे जन-जन में प्यार हो 
भाईचारे की मिठास हो
मानवता का पाठ हो 

इस दीपावली के दीप कुछ ऐसे हों 
जैसे दीन के घर पकवान हो 
दरिद्रता का नाश हो
समृद्धि का वास हो 

इस दीपावली के दीप कुछ ऐसे हों 
जैसे मन में विश्वास हो
उल्लास-उमंग की बौछार हो 
शूरता की धाक हो 

इस दीपावली के दीप ऐसे हों 
जैसे कोई ना निराश हो 
पूरी सबकी आस हो 
मुस्कुराहट बेशुमार हो.
...
कवयित्री - सुमन यादव
पता - मीरा रोड, मुम्बई
व्यवसाय - शिक्षिका 


Friday 25 October 2019

दीप / कवि - विजय बाबू

कविता 

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जग में हलचल ला रहा हूँ
फिर से अमावस के सहारे
रात को रौशन करने फिर
इक नया दीप जला रहा हूँ 

इक नयी आस रख रहा हूँ
दिल से ख़ुशियाँ पाने को
संग नयी उमंग जगाने को
इक नया दीप जला रहा हूँ ।

बस पल की खुशी पा रहा हूँ
दिल से मेरे अपनो के बीच
शाम ढलने के बाद मिल के
इक अलग दीप जला रहा हूँ 

इक रात यूँ फिर बिता रहा हूँ
जलाने दीप की रौशनी घर घर
बुझते लौ की तेज़ जलाने दीप
इक नया दीप जला रहा हूँ ।

इक दीप फूल सा जला रहा हूँ
खिलती कलियों की सी परिधि में
ख़्वाब को हकीकत में बदलने
इक खिला दीप जला रहा हूँ

अपनो को सपनो में देख रहा हूँ
फिर से बार बार यूँ हीं मिलने
गाने वही एक राग फिर मिल के
इक नया दीप जला रहा हूँ
...
“आप सभी को मेरी ओर से दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ!”
कवि - विजय कुमार 
कवि का ईमेल - vijaykumar.scorpio@gmail.com
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल - editorbejodindia@yahoo.com

दीपावली का चित्र साभार - स्वरम उपाध्याय के वाल से


Thursday 10 October 2019

मनु कहिन (12) - मेरे घर का पता

आपके घर का पता !


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आपके घर का पता ?
ओह! आपके न चाहने पर भी बदलता ही रहता है। 
आम आदमी का पता है ये! फितरत इसकी बदलने की है।

अब, देखिए न! जो पता पहले एक अदद कार के शो रुम के सामने का था, कुछ समय के अंतराल पर बदल कर किसी और कार के शो रुम के बगल का हो गया।

कुछ ही समय तो बीता होगा भाई, वो पुनः एक बदलाव के साथ, अस्पताल के सामने हो गया। 

चलिए, बात यहीं पर अगर खत्म हो जाती। नही! बिल्कुल नही। उसे फिर बदलना था ! अब  उसका नाम एक बड़े डिपार्टमेंटल स्टोर के साथ जुडऩे लगा। साथ ही साथ एक बैंक ने भी उसमें घुसपैठ कर ली। 

पता नही, कब तक! आखिर, कब तक यह बदलाव जारी रहेगा। अब तो लोगों को घर का पता बताने मे भी सावधानी बरतनी पड रही है। कहीं लोग यह न पूछ बैठे, "बहुत घर बदलते हो यार!" 

अब  किस-किस को बताऊँ अपना नया @ घर यानी अपने बदले हुए घर का पता?

काश! एक बडा सा  अदद बंगला बनाया होता! शायद तब वो अपने आप मे ही @ घर होता जिसका पता शायद बारंबार नही बदलता! पहचान का संकट नही होता! बार-बार पहचान बताने और कराने की कोशिशें नही करनी पड़ती! 
हाय @ मेरा घर! (मेरे घर का पता.)
अब, भाई साहब! आप नही पूछेंगे ? - @ आपका घर?
यानी मेरे घर का पता? 
......

आलेख - मनीश वर्मा
लेखक का ईमेल - itomanish@gmail.com
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Wednesday 9 October 2019

दर्द तो है / कवि - विजय बाबू

कविता 

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ज़िंदगी है क़लम से, क़लम की धार से
भीड़ में जाकर भीड़ से ही निकल सकूँ
लिख सकूँ कुछ आगे व पीछे हटकर
पाकर भी कुछ खोने का... दर्द तो है।

जीने का बहाना ढूँढता है मेरा मन
आगे चलने का इरादा रखता है मेरा मन
रुकता है, ठहरता है उठता है बार-बार
बढ़े तो कहे, रुके तो कहे... दर्द तो है

मासूमियत मन की कहे- जी सकूँ मर्ज़ी से
मजबूरियाँ तके अपना वजूद संघर्ष से
स्वप्निल मन की मंज़िल रहे सदा संघर्षरत
मुक़ाम भी मुकम्मल नहीं... दर्द तो है।

नदी की धार में, पर्वत-घाटी की सैर में
मन को लुभाते रहते यूँ ही कुछ पल
चाहा जो मिला तो एक किनारे का सहारा
मिलकर भी पर अधूरी यात्रा... दर्द तो है
...
कवि - विजय कुमार 
कवि का ईमेल - vijaykumar.scorpio@gmail.com
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Tuesday 8 October 2019

दशहरा मुबारक / कवयित्री - अलका पाण्डेय

दशहरा 

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चित्र सौजन्य - विजय कुमार

आज आया दशहरे का पर्व
लोगो के दिलों में समाया हर्ष

सब मिल कर तम भगायेंगे
नव प्रकाश के दीप जलायेंगे

चारों और छाया है सच्चाई का रंग
झूठ का मूहं हुआ देखो कैसा बंदरंग

दशहरा है बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व
इस दिन सत्य की विजय व झूठ की हार का पर्व

आज हुआ था राम - रावण युद्ध का अंत
जीती सच्चाई थी मिली ख़ुशियाँ अनंत

झुठ के प्रतीक रावण को जलाते है
अत्याचार धोखा फ़रेब को जलाते है

सब मिल कर नया उत्सव मनायेंगे
सब मिल कर आओ झूमें नाचे  गाये

द़शहरा भक्ति व सच्चाई का प्रतीक
दशहरा सच्चाई की ताक़त की निशानी

पतन हुआ रावण का टूटा था अंहकार
रामराज्य का हुआ शिलान्यास

अंदर के रावण को हम जलायेंगे
अच्छाई के नये अंकुर दहकायेंगे

जल गई लंका, ढह गया रावण
राम का हुआ राजतिलक पावन

आया आज दशहरे का पर्व
लोगो के दिलो में समाया हर्ष.
.....

रामचंद्र की कहानी - अलका

मेरी अम्माँ मुझे बताती
रामचन्द्र की कहानी सुनाती
राम ने रावण को मारा
तोड़ दिया अभिमान सारा
बुराई पर अच्छाई की जीत
असत्य पर सत्य की जीत
आज के दिन राम रावण
युद्ध का हुआ था अंत
राम के हाथो रावण का अंत
बुराई का पुतला हम हर साल जलाते है
सच्चाई की जीत का जश्न मनाते है
रावण के हार की कहानी हमें याद दिलाती है
कितनी भी बड़ी हो बुराई सच्चाई से हार जाती है
कितना भी हो शक्तिशाली
झूठ से मात खाता मवाली
तेरह दिन भीषण युद्ध हुआ
फिर रावण का अंत हुआ
सत्य को करो कितना भी प्रताड़ित
कर न सकेगा सत्य को पराजित
तेज उसका निंरन्तर निखरता रहेगा 
संकटों से लड़ कर शक्तिशाली बन जाते है
संघर्षो की डगर पार कर नंई मंजिल पा जाते है
मेरी अम्मा मुझे बताती
रामचंद्र की कहानी सुनाती.
.....
कवयित्री- अलका पाण्डेय
कवयित्री का ईमेल - alkapandey74@gmail.com
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Thursday 3 October 2019

माँ का लाल / कवयित्री - अलका पाण्डेय

कविता 

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दो अक्टूबर का दिन था
घर में बजी  बधाइयां
माँ का आया लाल था
किसानों का बेटा था
देश का वीर जवान था
कष्टों में जीना आता था
कर्मों का वह मसीहा था
ग़रीबों का वह रक्षक था
संघर्षों में जीना सीखा था
विश्व शांति का दूत था

छोटा क़द था बडी बातें
सादा जीवन उच्च विचार
नाम था जिनका -
लाल बहादुर शास्त्री
अपने मज़बूत इरादों से
पाक को हार दिखाई थी
“जय जवान ,जय किसान “
उनका प्यारा नारा था
आजादी की लडाई के
वे सच्चे सेवक थे

गांधीवादी विचारधारा के
वे अनुयायी थे
ताशकंद में विश्व शांति के दूत बन गये
चिर शांति अपनाई थी
पर तभी पूरा विश्व रह गया स्तब्ध
माँ का लाल सोया था
देश ने कर्मवीर खोया था
जय जवान जय किसान
नारा आज भी ज़िंदा है
शास्त्री को अमर बना गया
बच्चे-बच्चे को अनुशासन
सिखला गया
देश के सच्चे सपूत को
हम करते सलाम है
...
कवयित्री - अलका पाण्डेय 
कवयित्री का ईमेल - alkapandey74@gmail.com
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Tuesday 1 October 2019

आओ आज याद करे बापू के बलिदानों को / कवयित्री - अलका पाण्डेय

गांधी जयंती पर कविता

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बापू के किरदार में  रंगकर्मी जावेद अख्तर खाँ  (चित्र बेजोड़ इंडिया के धमाका पेज से)
आओ आज याद करे
बापू के बलिदानों को
सत्य अंहिसा की लाठी से
खादी वाली धोती से
अंग्रेज़ों को ललकारा था
देश प्रेम जगाया था
देश का बच्चा बच्चा जाग उठा था
बापू के क़दमों से कदम मिला चुका था
भारत माँ की रक्षा का लिया गया था प्रण
माँ को आजादी कराएंगे
जान पर खेल जायेंगे
बापूकी सत्य अंहिसा की बातें
आओ आज याद करे गांधी की बातें
घर-घर में चरख़ा पहुँचाया
चरखे के ताने-बाने से सूत बनाया
खादी की इस क्रांति  से
घ- घर में खुशहाली आई
हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई
सबको आपस में गले मिलाया
एकता का रहस्य समझाया
गांधी की शांति और अमन से
डर गये सभी फिंरगी
नई चाल वो चलने लगे
घात पर घात करने लगे
फूट डाल शासन करने लगे
बापू का तब सर चकराया
यह रहस्य उन्हें जब समझ आया
भारत का नया इतिहास रचा
उठाई सत्य अहिंसा की लाठी
सत्याग्रह पर बैठ गये
काँप उठे तब सारे फ़िरंगी
सत्य प्रेम का पथ अपना कर
घर घर नव प्रकाश फैलाकर
बापू तुमने आजादी दिलाई
आओ आज याद करे
बापू के बलिदानों को.
...
कवयित्री - अलका पाण्डेय 
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