Saturday 24 August 2019

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर विशेष कुण्डलियाँ /कवि - बाबा बैद्यनाथ झा

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर विशेष

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 "कुण्डलिया छंद"
              
          1             
बढ़ता है जब-जब यहाँ, अतिशय  पापाचार।
हर युग के अनुरूप ही, हुआ कृष्ण अवतार।।
हुआ कृष्ण अवतार, पाप का नाश  किया है।
भक्तों  को  दे  त्राण, दुष्ट  को   दंड  दिया है।।
गीता  सा  सद्ज्ञान, मिला तो जग है पढ़ता।
आते हैं भगवान, पाप जब अतिशय बढ़ता।।

      2            
गीता  में  तो  है  भरा,  तत्वज्ञान  का  सार।
जिससे होता है सुलभ, नर तन  का उद्धार।।
नर तन  का उद्धार, पार्थ  थे  मात्र  बहाना।
चाह रहे थे कृष्ण, जगत को  भिज्ञ कराना।।
त्राहि-त्राहि  सर्वत्र, धरा थी  जब भयभीता।
देने आये कृष्ण, अलौकिक अनुपम गीता।
...
कवि - बाबा बैद्यनाथ झा 
ईमेल - jhababa55@yahoo.com
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल - editorbejodindia@yahoo.com

जन्माष्टमी पर भक्ति और हास्य कविताएँ / कवयित्री -अलका पाण्डेय

 हाइकु 

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मची है धूम 
जन्माष्टमी का पर्व 
कृष्ण का जन्म 

कन्हैया आये
मग्न हुईं गोपियां
रास रचाये

अजन्मा मै
भक्तों के कल्याण में
होता प्रकट

रौशनी आई
यशोदा नंद घर
सोहर गाओ 

कंस को मारा 
मथुरा को उबारा
कान्हा की लीला 

नंद गोपाला 
दुष्टों को संघहारा 
रास रचाया 

मची है धूम 
जन्माष्टमी का पर्व 
गीता का ज्ञान 

कान्हा का आना 
प्रेम मयी गोपियाँ 
चौसठ कला 

अजन्मा हूँ मै
जन्माष्टमी उत्सव 
चेतना जागे 

रौशनी आई
यशोदा नंद घर
सोहर गाओ 

कन्हा की लीला 
कंस .पूतना मारो
उत्सव भयों 

नंद गोपाला 
दुष्टों को संघहारा 
रास रचाया.
... 


मैया मोरी मैं न मोबाइल पायो 
(हास्य कविता)

मैया मोरी मैं न मोबाइल पायो  
ग्वाल बाल सब गेम है खेलत 
मोहें दूर भगायो
मैया मोरी मैं न मोबाइल पायो

बहुत से ऐप में बहुत से गेम हैं 
फनी-फनी से उनके नेम हैं
हमको नाहिं खेलायो
मैया मोरी मैं न मोबाइल पायो

फेसबुक पे रास रचाते 
मैसेंजर में खूब लुभाते
प्रेम समूह बनायो
मैया मोरी मैं न मोबाइल पायो

गोपियों का नया ग्रुप बनायो
हमको लेकिन न बतायो
हमसे से ही बैर दिखायो
मैया मोरी मैं न मोबाइल पायो

अब नहि मैया गाय चरायो
मोबाइल हमहुँ दिलवायो
तबही गाय चरायो
मैया मोरी मैं न मोबाइल पायो

मोबाइल जादू को पिटारो 
गाना पिक्चर वारो न्यारो
यू ट्यूब सबसे प्यारो
मैया मोरी मैं न मोबाइल पायो

रिंग टोन की बात निराली
हँसि बतियावे राधा प्यारी
में बैठ्यो झुंझलायो
मैया मोरी मैं न मोबाइल पायो

गूगल को एडवाइजर रख्यो
ट्विटर को प्रवक्ता रख्यो
मोहि पर बैन लगायो
मैया मोरी मैं न मोबाइल पायो.
....

कवयित्री - अलका पाण्डेय
कवयित्री का ईमेल - alkapandey74@gmail.com
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल - editorbejodindia@yahoo.com




  

Friday 23 August 2019

जन्मे कृष्ण त्रिपुरारी / डॉ. मंजु गुप्ता

जन्मे  कृष्ण त्रिपुरारी 

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मथुरा में  जब पाप बढ़ा था 
कंस से लोग घबराए 
वसुदेव  -देवकी जेल गए 
रिश्ते कुल  के थर्राए ।

बेड़ियों  में उनको जकड़ के  
पहरा  कड़ा था  बिठाया ।
  क्रूर कंस के अनाचार ने 
जुल्म उन पर  करावाया  ।

हुई देवकी की गोद  हरी 
ईश   ने कृपा  बरसायी ।
भाद्रपद की  कृष्ण अष्टमी 
घोर काली रात आयी ।

जन्में जेल में  नन्दलाला  
 हुई लीला चमत्कारी ।
  सब पहरेदार थे  सो गए 
 बेड़ी टूटी  तब  सारी ।

लाल  रख सूप में  वासुदेव  
 नन्दधाम  ईश पधारे ।
यशोदा को कृष्ण दे के वे 
लल्ली  ले सिर पर  धारे ।
  
चले  निडर देवकी के पास 
लल्ली को उधर लिटाया ।
बेड़ी में वे फिर जकड़े थे 
रुदन सुन कंस आया ।

लड़की  को पटका  धरा  पे   
 बोली  कंस से योगमाया 
तेरा काल गोकुल  में गया 
 वही करने अंत आया ।

खुशियों से जन-मन हर्षाया  
बजी आज है शहनाई
कृष्ण लला होने की बाँटी 
  गोकुल में नन्द मिठाई ।

दर्शन देने  भक्तों को हैं 
आते हैं कृष्ण मुरारी 
शोषण अधर्म जब-जब  होता 
 जन्मते कृष्ण  त्रिपुरारी  ।
....

कवयित्री-  डॉ मंजु गुप्ता 
कवयित्री का ईमेल - writermanju@gmail.com
पता - वाशी , नवी मुंबई
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल - editorbejodindia@yahoo.com

बड़े अरमान से मिलते हैं दिल अक्सर / कवि - त्रिलोचन सिंह 'अरोरा'

बड़े अरमान से

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बड़े अरमान से मिलते हैं दिल अक्सर
क्यों उदासियाँ घेर लेतीं हैं मुझको अक्सर

देखी हैं कई बार हमने नसीब की लकीरें 
उम्मीद को अंगड़ाई लेते देखा उनमें अक्सर

चेहरे पे उनके जब भी देखता हूं 'रौनक' 
दुआओं में शुक्र मनाता हूं रब का अक्सर

इश्क के सफर में कभी मिल के चले थे 
गुजरा वो हसीन मंज़र, याद आता है अक्सर

वक्त मुझसे रूठ गया 'त्रिलोचन' तो क्या 
ये क्या कम है उस पे फिदा मिलता है अक्सर। 
...

कवि-  त्रिलोचन सिंह 'अरोरा'
कवि का ईमेल - trilochansingharora07@gmail.com
पता -  नई मुंबई
मोबाइल : 9322376534
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Tuesday 20 August 2019

आज फिर जागा है प्रेम / कवि - अभिनव यादव

कविता

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आज फिर जागा है प्रेम 
देश के लिए
सुना है कि
आजादी की तारीख आई है

रोज रोज
कौन जताता है प्यार 
देश के लिए
पर आज
आजादी की तारीख आई है

थक जातें हैं हम
हर दिन के काम से
उदास होते हैं हम
हर दिन के टकराव से
पर आज थोड़ा खुश हैं
 छुट्टी का एक दिन लाई है
आज आजादी की
तारीख आई है

कोसते हैं रोज
 अपनी ही धरती को
जिसने हमें भारतीयता की
 दिलवाई पहचान
पर आज तो जाग उठा है
देश पर अभिमान
वो क्या है न कि
आज आजादी की तारीख आई है.
....
कवि -  अभिनव यादव
परिचय - प्रथम वर्ष, आईटीएम बिजनेस स्कूल, खारघर (नवी मुम्बई)

Thursday 15 August 2019

आजादी और राखी पर हाइकु और वर्ण पिरामिड / कवयित्री - अलका पाण्डेय

                                        हाइकु - आजादी पर

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आजादी पर्व 
टूटी ज़ंजीरें सारी 
खुला आकाश ।

ग़ुलामी छूटी 
कैद से मिली मुक्ति 
आजादी पाई।

दिन है ख़ास 
पन्द्रह अगस्त का 
अंग्रेज़ भागे ।

वीर सपूत 
जान हथेली पे ले 
शहीद हुये ।

जुनून चढ़ा 
देशभक्ति महान 
खून बहाया ।

जय भारत 
तिरंगा फहराया
चढे शूली पे ।

वन्देमातरम् 
देश से प्रेम हमें 
क़ुर्बान जान।
...

 वर्ण पिरामिड - अलका पाण्डेय

१) 
ये 
राखी 
त्यौहार 
प्रेमडोर 
प्यारा बंधन 
भाई बहन का 
अटूट है बंधन ।

२) 
है 
राखी 
का पर्व 
रक्षा  सूत्र 
भाई बहन 
प्यार से मिलते 
त्यौहार है मनाते ।
...

१) 
लो 
हम 
करते 
वादा आज 
सलामी देगे 
वीर शहीदों को 
राष्ट्रप्रेम  की जय।

२) 
है 
आज 
आजादी 
पर्व न्यारा 
ऊँचा रहे ये 
तिंरगा हमारा 
शहीदों को नमन।
...

कवयित्री - अलका पाण्डेय
पता - नवी मुम्बई (महाराष्ट्र)
कवयित्री का ईमेल - editorbejodindia@yahoo.com
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल - editorbejodindia@yahoo.com







विश्व संस्कृत दिवस एवं रक्षाबंधन पर दोहावली / कवि - बाबा बैद्यनाथ झा



श्रावण मास की पूर्णिमा का भारतीय संस्कृति में विशेष महत्व है. इसी दिन भाई बहन के रक्षाबंधन का पवित्र पर्व मनाया जाता है. साथ ही यही विश्व संस्कृत दिवस भी है. इस बार 2019 ई. में अद्भुत संयोग था कि इसी दिन स्वतंत्रता दिवस का राष्ट्रीय पर्व यानी 15 अगस्त पड़ा. इस प्रसन्नता की त्रिवेणी के अवसर पर  दोहा विधा में महारथ प्राप्त भारतीय संस्कृति से अत्यधिक लगाव रखनेवाले गुणी साहित्यकार बाबा बैद्यनाथ झा अपने दोहे प्रस्तुत कर रहे हैं-

 संस्कृत दिवस पर विशेष दोहावली

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संस्कृत के विद्वान सब, जब  हैं  मंचासीन।
दीप दिखाऊँ सूर्य को, यह विचार ही हीन।।
                          
मेरी   भाषा  मैथिली,   संस्कृत   में   हूँ  मंद।
प्रस्तुत  हूँ  लेकर   यहाँ, अपने   "दोहा छंद।।"
                         
मना रहे हैं हम यहाँ, "संस्कृत दिन" सब आज।
सभी प्रफुल्लित विश्व में, हर्षित  विज्ञ समाज।।
                       
देवों  की  भाषा यही, जिसका  संस्कृत नाम।
सृष्टिकाल से आज तक, यह है मधुर ललाम।।
                        
वेदकाल   से   देख   लें,  वर्तमान  साहित्य।
संस्कृत पद-विन्यास में, अद्भुत है लालित्य।।
                        
हैं  भाषाएँ  आर्य  की, संस्कृत  से  निष्पन्न।
वैज्ञानिकता  से  भरी, सब हैं अति सम्पन्न।।
                     
भारत और  युरोप की, भाषा  इक परिवार।
यह कैसे संभव हुआ, इस पर  करें विचार।।
                      
भारत का ही विश्व पर, था अपना अधिकार।
इसीलिए  तो  हो गया, संस्कृत का विस्तार।।
                                          
देगी जब सरकार यह, इस संस्कृत पर ध्यान।
उसी समय से देश का, होगा  अति  उत्थान।।
.....

                        
     रक्षा बन्धन पर्व पर विशेष दोहा-दशक
                                  

     
आयी  सावन-पूर्णिमा,   रक्षाबन्धन  पर्व।
होता है हर बहन को, निज भाई पर गर्व।।
                    
एक बहन जिसको नहीं, भाई  वही  उदास।
जिस भाई को है बहन, वह करता उल्लास।।
                  
अरे दुष्ट अब शर्म कर, तुम कैसे माँ-बाप?
गर्भ-पात  के पाप पर, बेटा  देगा  श्राप।।
                     
जिस घर में बेटी नहीं, वह घर एक मसान।
बेटी  से  सुख-सम्पदा, बढ़े आप लें जान।।
                  
बहनें   भाई   के   लिए,    माँगे   यह  वरदान।
पढ़-लिख कर वह योग्य हो, बने सफल इंसान।।
                  
भाई   भी   देता  वचन,  रक्षा   का  ले भार।
बना रहे भाई-बहन, का  अद्भुत यह  प्यार।।
                 
नारी  है तो  सृष्टि  है, यह  है  सबको  ज्ञात।
हत्या करना  भ्रूण की, मत सोचो यह बात।।
                 
बहनें  जो   हैं  अग्रजा,    देकर आशीर्वाद।
चाहेंगी   कल्याण   वे,  करती रहतीं याद।।
               
सब बहनें हैं जा रही, निज भाई के पास।
बाट जोहतीं साल भर, आए सावन मास।।
                
भाई-बहनों  का  यही,  है अद्भुत त्योहार।
बिना स्वार्थ के बांटते, ये आपस में प्यार।।
...


कवि - बाबा बैद्यनाथ झा
कवि का ईमेल - jhababa55@gmail.com
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Wednesday 14 August 2019

देहरादून, उत्तराखंड की डा० भारती वर्मा बौड़ाई - स्वतंत्रता दिवस पर कविता

लें प्रण 

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आओ 
लें प्रण
आज सभी हम 
मातृभूमि की रक्षा में 
सर्वस्व समर्पित कर देंगे!

आओ 
लें प्रण
अपने देश के 
जल, जंगल, पहाड़ 
पर्यावरण की रक्षा में 
सर्वस्व समर्पित कर देंगे!

आओ 
लें प्रण 
अपने देश का 
रहे तिरंगा सदा फहरता 
कहीं, कभी झुकने न पाये 
सर्वस्व समर्पित कर देंगे!

आओ 
लें प्रण
हो हर जन शिक्षित 
सभी बेटियाँ रहें सुरक्षित 
शांति, चैन, विश्वास हेतु 
सर्वस्व समर्पित कर देंगे!

आओ
लें प्रण 
सर्व धर्म समभाव हो 
आपसी बढ़ता प्रेम भाव हो 
विश्व में फहरे अपनी पताका 
तभी मनेगा नित स्वतंत्रता दिवस!
तभी सार्थक स्वतंत्रता दिवस!
...

कवयित्री - डॉ० भारती वर्मा बौड़ाई
पता - देहरादून, उत्तराखंड
कवयित्री का ईमेल - bharati.bourai007@gmail.com
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राखी और स्वतंत्रता दिवस पर विशेष - मंजु गुप्ता की कविताएँ

राखी और स्वतंत्रता दिवस पर विशेश कविताएँ

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मंजु गुप्ता द्वारा स्वतंत्रता दिवस और राखी के अवसर पर बनाई गई राखी 

रक्षाबन्धन का विशेष दिन भावनाओं की  श्रावणी बन चाँदनी से ओत - प्रोत हो रहा है -


मैं हूँ राखी का पावन प्यार

श्रावण पूर्णिमा का त्योहार 
है भाई - बहन की बुनियाद 
मत कर मेरी भ्रूण  हत्या माँ 
मैं हूँ राखी का पावन प्यार . 

मेरे जीने का आवेग ,
करती माँ इजहार 
न कर मेरी भ्रूण - हत्या ,
मैं हूँ तेरा प्यार ,

न कर कोख में हत्या माँ 
हूँ भाई की ढाल 
खत्म न होगा बहन का रिश्ता 
सदा रहेगा त्योहार .

राखी से रक्षित बहनें 
कहे रेशमी तार 
भ्रूण हत्या है अपराध 
कन्या  ईश उपहार 
 ......


करो उनकी याद 

देश करा आजाद 
हमें किया आबाद 
झूल फंदे वे  गए 
लुटा प्राण वे गए 
क्रांतिकारी थे बड़े
वे आजादी को लड़े
करो उनकी याद ।

गाते गीत कहानी 
दी भेंट में जवानी 
वीर सुखदेव की 
भगत से देव की
आज शहीदी पर्व
भारत को है गर्व 
काव्य के वे नाद 
भारत के वे चाँद ।

आजादी का पर्व हमारा 
वीर, बहादुरों की कुर्बानियाँ से 
बड़ी मुश्किलों से भारत माँ ने पाया
नयी नस्ल रखना सँभाल के इसे ।
....

कवयित्री -  मंजु गुप्ता
पता - वाशी, नवी मुम्बई
कवयित्री का ईमेल - writermanju@gmail.com
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Tuesday 13 August 2019

आजादी पर मंजु गुप्ता के विचार

सत्यम, शिवम, सुन्दरम पर  अमल  करें और  बुद्ध , गांधी का रास्ता अपनाएं 

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स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त) के अवसर पर हम अपने देश की महान उपलब्धियों जैसे चंद्रयान के अंतरिक्ष में सफल प्रक्षेपण की, महिलाओं द्वारा अंतर्राष्ट्रीय खेल प्रतिस्पर्धाओं में जीतने की आदि की तो बात करते ही हैं साथ ही आपसी सौहार्द के बने रहने और पड़ोसियों से संबंधों के बेहतर होने और समाज में सबको सम्मान मिलने की भी कामना करते हैं. सुनिये नई मुम्बई की साहित्यकार मंजु गुप्ता क्या कहती हैं इस विषय में - 




हमारे देश के वीर , बहादुर जवान प्रतिकूल परिस्थितियों  में  आठ पहर दिन - रात बन सीमाओं पर भारत माता की रक्षा के लिए खड़े रहते हैं। जिससे हम आजादी की साँसें ले कर चैन की नींद  सो सकें और सुरक्षित रहें । उन्हीं के दम पर हम आजादी की साँसें  ले रहे हैं । उसी तरह हमारे देश के नारी लोक में निर्भया, कठुआ, उन्नाव जैसा बलात्कार कांड, यौन शौषण न हो । हर बेटी, माँ, बहन सुरक्षित रहे, न ही लैंगिक भेदभाव, संप्रदायवाद, शराब बंदी, मॉबलिंचिंग, प्रदूषित पर्यावरण, वाहन रफ्तार से  सड़क दुर्घटनाएँ आदि से हर भारतवासी आजादी पाए।

इन सामाजिक विसंगतियों , बुराइयों आजाद होने के  लिए हर परिवार को अपने बच्चों को , सदस्यों को नैतिक मूल्यों के संस्कार देने की शुरुआत करनी होगी । नैतिक दायित्व को हर भारतवासी को अपने अंदर जगा के व्यवहार में लाना होगा। तभी हम इन बुराइयों, मुँह फाड़ती समस्याओं से मुक्त  हो सकेंगे। 

हर इंसान का व्यक्तित्व  सत्यमं, शिवं, सुन्दरम् से चरितार्थ होगा जिससे हम  नयी नस्ल को  मूल्यों के तेज से निर्मित  भारत को सौंप सकें ।  हिंसा, आतंक से बचने के लिए हमें बुद्ध , गाँधी जी का रास्ता अपनाना होगा ।तभी अहिंसा , अमन , प्रेम , खुशहाली का भारत बना सकेंगें . मैं एक शिक्षिका, माँ, लेखिका कवियित्री  होने के नाते इन सकारात्मक मूल्यों, सोच से परिवार, विद्यालय के छात्रों  और समाज को गढ़ा है।

इन नकारात्मक पहलुओं से जब देश आजाद होगा तभी हमारे देश की सच्ची आजादी होगी । जय हिन्द!
....
आलेख - डॉ  . मंजु  गुप्ता
पता - वाशी , नवी मुंबई 
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सखी / कवयित्री - अलका पाण्डेय

सखी

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ज़ख़्मी मन को 
स्नेह सुधा से 
नहला दे जो 
सखी वही है 
मित्र वही है. 

दुख में डूबे हुए मन को 
प्रेम अमृत पिला दे जो 
 सखी वही है 
मित्र वही है. 

जुदाई के वियोग में 
व्याकुल चित्त को 
फुसलाकर समझा दे जो 
सखी वही है 
मित्र वही है. 

नीरस मन को 
प्रेम सरोवर में 
डूबकी लगवा दे जो 
सखी वही है 
मित्र वही है. 

अपनो से आहत हृदय को 
ममता का आँचल पकड़ा दे 
सखी वही है 
मित्र वही है. 

नयनों की भाषा 
पल में पढ़कर
काम बना दे जो 
सखी वही है
मित्र वही है.
.... 

कवयित्री - अलका पाण्डेय
कवयित्री का ईमेल - alkapandey74@gmail.com
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Thursday 8 August 2019

मनु कहिन (8) - तहजीब

सामाजिक व्यवहार और बोलचाल 
तुम -ताम, तू - तडाक की भाषा

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हम सभी बचपन से ही एक बात सुनते हुए बडे हुए हैं। आज के बच्चे भी शायद इस बात से इत्तेफाक रखेंगे। भारतवर्ष, जी हाँ! हमारा, हम सभी का अपना, प्यारा भारत देश। विविधताओं से भरा हुआ। विभिन्न जातियों, समुदायों, वर्गों, धर्मों, भाषाओं और न जाने कितने प्रकार मे बँटा यह देश जहाँ हर दस किलोमीटर की दूरी पर भाषा, आचार विचार एवं व्यवहार बदलता हो,  फिर भी हम एक हैं। हमारी संस्कृति, हमारी सोच एक है। हमारी विचारधारा एक है। 

हम यहाँ बात करेंगे हमारे देश की भाषाई तहज़ीब की। तमाम तरह की विविधताओं के बावजूद वो एक है। भारतवर्ष में बोली जाने वाली शायद ही कोई भाषा होगी जिसमें अपने से बड़ों के प्रति आदर और सम्मान एवं छोटे के प्रति स्नेह न हो। हम तो भाई अनजान व्यक्ति चाहे वो हमसे किसी भी प्रकार से छोटा हो या बराबरी मे हो, हम उसके प्रति भी आदर और सम्मान का भाव रखते हैं। तुम -ताम, तू - तडाक की भाषा तो हमारी संस्कृति में है ही नही। भाषा ही तो आपकी पृष्ठभूमि, आपका शैक्षिक स्तर, आपकी सोच, आपकी 'ग्रूमिंग' बताती है। आप समाज के अति प्रतिष्ठित परिवार से ताल्लुक रखते हों, आपकी पढ़ाई लिखाई देश दुनिया के सर्वश्रेष्ठ स्कूल और कॉलेज से हुई हो, तो क्या ! अगर आपको समाज में कैसे व्यवहार करना है, अगर वो नही आया तो सब बेकार है। निरर्थक है।

समाज में एवं व्यवहार में भी दो चीजों की कद्र की जाती है । एक पद की, दूसरे उम्र की। पद की इज्जत तो अमूमन सभी करते हैं। कभी उम्र की इज्जत भी करें। हो सकता है कि आपके कार्य स्थल पर  या फिर समाज में भी पिऊन या आपका अधिनस्थ कर्मचारी या फिर मुहल्ले समाज का कोई व्यक्ति जो पद और ओहदे में आपसे छोटा हो पर उम्र में बड़ा हो। भारतीय संस्कृति और सामाजिकता का यही तो तकाजा है कि आप उसके उम्र की कद्र करें।  तुम, तू-तडाक  की भाषा कहीं न कहीं आपको अपनों से दूर ले जाती है और आप अनजाने में ही सही बहुतों को अपना शत्रु बना लेते हैं। हो सकता है आप दिल से बुरे न हो पर आपका व्यवहार आपके व्यक्तित्व पर भारी पड़ रहा है।
......

आलेख - मनीश वर्मा
लेखक का ईमेल आईडी - itomanish@gmail.com
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