Wednesday 20 May 2020

शब्द संसार / कवयित्री - मीनाक्षी डबास 'मन'

कविता

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शब्द आवरण, शब्द जागरण
शब्द समय का सार
शब्द बिना है सूना देखो
यह सकल संसार।

शब्द बनाए, शब्द बिगाड़े
दुनिया को यह नाच नचाए
कभी गीत का राग बने तो  
कभी तीखी धार हो जाए।

शब्द हंसाए, शब्द रुलाए
भिन्न भिन्न यह रूप सजाए।
 कभी सार्थक, कभी निरर्थक,
वर्णों का ऐसा मेल बिठाए। 

शब्द मित्र, शब्द ही शत्रु
कैसे –कैसे संबंध बनाए।
मीठा बोलकर मेल कराए
जहर बने फिर भेद कराए ।

शब्द लघु, शब्द विशाल है 
चरित्र इसी से आंका जाए।
दुष्टों का हथियार कभी यह 
संतों का आशीर्वाद बन जाए।

शब्द प्रेम, शब्द द्वेष भी
भावाविष्ट हो जो बोल जाए । 
प्रेमी विहग रोमांच से फूले
बैरी जन के मन को जलाए ।

शब्द भूत, शब्द आज है
युगों-युगों तक फैला जाए । 
अकबर-अशोक रहते इसमें
क्या होता, उसका ज्ञान कराए। 

शब्द कबीर, शब्द है तुलसी 
भक्ति के न्यारे पंथ सुझाए।
एक समाज को सत्य दिखलाए
एक समन्वय का अलख जगाए।

शब्द है हिन्दू, शब्द मुसलमान
आस्था के भिन्न रूप कहाए। 
जीवन का कल्याण करो सब
हर धर्म यही सिखाता जाए।

शब्द प्रजा, शब्द ही शासक
निज दायित्व का बोध कराए।
देश-रक्षा प्रथम उद्देश्य हो
वरण करो चाहे पृथक उपाय।

शब्द मौन है, शब्द मुखर है
कहे कभी मन राखा जाए।
विचार बहें अंतरतल पर
जिह्वा से प्रकट हो जाए। 

शब्द कवि, जो बना रवि है
निज भाव से जग को जोड़े जाए।  
छंद, रस, अलंकार, वक्रोक्ति 
शब्दों का सुंदर मेल बिठाए।
....

कवयित्री - मीनाक्षी डबास "मन" 
परिचय - प्रवक्ता हिन्दी 
राजकीय सह शिक्षा विद्यालय पश्चिम विहार शिक्षा निदेशालय दिल्ली भारत  
कवयित्री का ईमेल आईडी - Mds.jmd@gmail.com 
प्रतिक्रिया हेतु इस ब्लॉग का ईमेल आईडी - editorbejodindia@gmail.com