Monday 30 September 2019

दुर्गा पूजा के शुभ अवसर पर भक्ति भावांजलि

 ऊँ श्री दुर्गायै नमः!

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    1."दोहा छन्द" - बाबा बैद्यनाथ झा


मातु    शैलपुत्री   प्रथम, आयी   मेरे   द्वार।
दुख विपदा का हरण कर, करती जो उद्धार।।

हाथी   पर  माँ  आ  रही, वर्षा का  है  योग।
माता  का  पूजन  करें, पाएँ  इच्छित  भोग।।

ब्रह्मचारिणी   नाम से, माता  हैं  विख्यात।
दुख हरती माँ पुत्र के, ज्ञात सहित अज्ञात।।

इनके  पूजन  से सतत, होता है कल्याण।
भक्त रहे जब कष्ट में, मिल जाता है त्राण।।

चन्द्रघण्टिका   माँ   मुझे, दो   ऐसा  वरदान।
स्वस्थ रहूँ फिर कर सकूँ, सदा तुम्हारा ध्यान।।

भक्तों   के   हर   कष्ट  को, तू  कर देती दूर। 
मैं हूँ तेरी शरण में, है श्रद्धा भरपूर ।।   

हे   कूष्माण्डा   माँ  जपूं, प्रतिपल तेरा  नाम।
होती  जब   तेरी  कृपा,  बनते  बिगड़े  काम।।

मैं  करता  लेखन-क्रिया,  यद्यपि हूँ मतिमन्द।
अब मुझको सद्ज्ञान दो, लिखूँ श्रेष्ठतम छन्द।।

माता तुम तो स्कन्द की, रखती सबका ध्यान।
जो  भी   तुमको  पूजता,  पा  लेता  वरदान।।

विस्मृत  कर अपराध को, करो क्षमा का दान।
होता   पुत्र  कुपुत्र  भी, माता   एक   समान।
               
हे  माता  कात्यायनी,  मैं  हूँ  बिल्कुल  अज्ञ।
छन्द सिखा  दो  अब मुझे, बन जाऊँ मैं प्रज्ञ।।

बालक एक अबोध पर, माँ अब करो विचार।
युक्ति  लगा  दो  हो  सके,  मेरा  भी  उद्धार।।

कालरात्रि   के  नाम  से,  दुष्ट   रहे  भयभीत।
पर माता निज भक्त से, करती अतिशय प्रीत।।

दनुज वृत्ति  का  माँ  सदा,  कर  देती संहार।
जो   माँ  को    है  पूजता,  पा  लेता  उद्धार

महागौरि  अब  दे  मुझे, तू   अक्षय  वरदान।
रहूँ  स्वस्थ सीखूं सदा, अनुपम  छन्द विधान।।

तेरे सुमिरन मात्र से, सबको मिलता त्राण।
 इच्छित वर  देकर  करो, माँ  मेरा  कल्याण ।। 
                   
दुर्गा  पूजा  हो  गयी, मत  कह बंधु  समाप्त।
यह देवी माँ भगवती, कण-कण में हैं व्याप्त।।
                       
श्रेष्ठ पर्व 'नवरात्रि' अब, पूर्ण  हुआ  इस वर्ष।
देते  रहना  माँ  सदा,   भक्तों को अति हर्ष।।
                       
हुआ विसर्जन माँ गयी,  लगती है वह क्रूर।
है साहस तो कर दिखा,  मुझे हृदय से दूर? 
.......


2.  "मैया शेरा वाली" - अलका पाण्डेय

मंदिर तेरा सजाया माँ शेरा वाली
आ कर विराजो माँ पहाणा वाली
तेरा पूजन करे माँ खप्परवाली
हलवे का भोग लगाये माँ लाटा वाली
तेरे दर्शन को लोग आये मेहरावाली
मैया तेरे रूप अनेक, नई  नई छबि दिखाये 
सोलह करें श्रृंगार नौ दिन में नौ रूप बनाये 
कई नामों से पहचान कराये
प्रथम दिन घट स्थापना, शैलपुत्री कहलाये 
दूजे दिन ब्रह्मचारिणी मैया, तेरी जय जय गाये
तीजे दिन मैया, बहुत लुभाती हो चंद्रघंटा बन छाती हो
चौथ दिन मैया कुष्माण्डा नाम धराया, बच्चो को बहुत भाया
पाँचवा दिन है स्कंदमाता तुझ को जो ध्याता भव पार उतर जाता
छठी कात्यायिनी विख्याता बैजनाथ है धाम तुम्हारा 

मोह माया से छुड़ाने वाली सब पर कृपा बरसानेवाली 
7वें दिन कालरात्रि का कहलाये मन से करे जगराता काल पर विजय पाये 
अष्टमी है महागौरी मैया कन्या को पूजे जो  सारी मुरादें पूरी हों
नौ दिन का करे जो व्रत सिद्धिदात्री मैया हो जाये प्रसन्न
संकट सारे दूर करे , खुशीयो से दामन भर जाये 
जगराता शेरा वाली का 
जयकारा खप्परवाली का
शैलपुत्री, मेहरावाली, लाटावाली का
जयकारा पहाणावाली का 
ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा स्कंदमाता का
जयकारा कात्यायनी, कालरात्रि
सिद्धिदात्री, शेरा वाली का
जय माता की बोलो
 अपने पाप धो लो
 घर में खुशहाली पाओ
संकट को दूर भगाओ
जयकारा जोर से लगाओ मैया को अपने घर बुलाओ
गरबा कर मैया को रिझाओ
घर के भंडारे भर लो 
बोलो जय माता की.
.....
कवि, कवयित्री - बाबा बैद्यनाथ झा, अलका पाण्डेय
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल - editorbejodindia@yahoo.com