Tuesday 3 September 2019

महाराष्ट्र में गणेश चतुर्थी का त्योहार / लेखिका - मंजु गुप्ता

सभी चेतन  ईश के अंश  हैं

(मुख्य पेज पर जाइये -   bejodindia.blogspot.com /  हर 12 घंटों पर देखिए -  FB+ Watch)


वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ 

भारत में हर  त्योहार बड़े उत्साह- उमंग के साथ मनाते हैं  लेकिन गणेश चतुर्थी का त्योहार महाराष्ट्र में सार्वजनिक, सामूहिक, व्यक्तिगत रूप से गणेश मूर्ति स्थापित करके  लोग मनाते हैं । गणेश जी बुद्धि के देवता  हैं। भक्तों की मुसीबत आने से पहले ही दुख, संकट को दूर कर देते हैं। इन दिनों भगवान धरा पर निवास करते हैं। अगर विनायक प्रसन्न हो गए तो सारे क्लेश, कष्ट कट जाते हैं।  कोई बाधा हमें छू नहीं सकती है । 

मेरे पड़ोसी  के घर  बड़ी धूमधाम से गणपति महाराज सात दिनों  के लिए ईश अवतार  के रूप में  पधारते हैं . हम सब बहुत खुश होते हैं। ईश हमारे सामने और हम उनके सामने  हमारे करीब हैं। सच का प्रकाश  गणेशजी का  पूजन करके हम सब उस समय  गणेशमय हो जाते हैं। गणेश जी की पूजा पाठ का सारा काम  समयानुसार होता है ।  तरह, तरह भोग बनाने की प्रेरणा उन्हीं सर्वसत्ता  ईश से मिलती है । विघ्नहर्ता  घर, समाज, देश और संसार के विघ्नों को हर कर ले जाते हैं. आशीर्वादात्मक उपहार मैत्री, शान्ति, प्रेम और इंसानियत की ऋचाओं से साक्षात्कार कराते हैं. 

इकोफ्रेंडली प्रेरणामूर्ति गणपति का दरबार की साज, सज्जा  श्रृंगार  हम मिलकर  करते हैं। दरबार के पीछे का मंडप भाग लाल रंग ओढ़नी जो शक्ति और क्रांति  और सफेद रंग की ओढ़नी शांति की आड़ी- तिरछी  ऊर्ध्वगामी रेखाएं गतिमान और प्रगतिशीलता को दर्शाती हैं और उनसे निर्मित कोश  से हर घर, समाज, देश और संसार में विवेक की शक्ति से शांति  का साम्राज्य रहे 

चारों दिशाओं को अनवरत प्रज्ज्वलित, प्रकाशित  अखंड घी के दीये मानव को दुराचार, झूठ, अज्ञान, बलात्कार, भ्रष्टाचार   अमानवीयता के अँधेरे को भगा के  विवेक, सदबुद्धि का उजाला दे.  धर्म का मार्गदर्शन करती किताबें  जन- मन  को सही राह दिखाए. उष्णता को हरनेवाले  शीतल नीले रंग के सिंहासन पर विराजे हैं।  विभिन्न सुंदर  रंगीन फूलों से सजा परिवेश क्षणभंगुर संसार में अपने सुंदर  गुणों से घर, समाज को  महकाने का बोध दे रहें हैं हरे रंग  की बिछी चादर पर सुशोभित हैं नारियल, फल, रस युक्त जीवन काल में  हमें अलौकिक दर्शन से अनंत विघ्नों से लड़ने की सामर्थ्य दें 

 गणेश चर्तुथी के दिन मुम्बई, महाराष्ट्र की अधिकतर  सोसाइटी,  पांडालों, गलियों, सड़को, मंडल, घर- घर में गणपति लाते हैं, भक्ति भाव से सुबह- शाम  पूजा कर अनंत चतुर्दशी के दिन तालाब, समुन्द्र में विसर्जित कर देते हैं। साकार ईश  मूर्ति में हैं तो निराकार ईश सब जगह विराजमान हैं। सभी चेतना में ईश बसे हैं सभी चेतन  ईश के अंश  हैं। हम सब में जो रिश्ता जुडा है वह दैवी सम्बंध का इसलिए सारे विश्व हमारा  वसुधैव कुटुम्बकम है अंत में ग़णपति बप्पा  का विसर्जन की मूर्ति का विसर्जन किया जाता है

विघ्नहर्ता के दर्शन करने लम्बी -लम्बी कतारों में  खड़े भक्त गण विविध भाषा, संस्कृति , वर्ण, लिंग, जाति, धर्म, संप्रदाय के होते हैं । जिनका लक्ष्य ईश की कृपा सुख, समृद्धि, प्रगति मनोवांछित फल  आदि  आशीषों के रूप में  सदा उन पर बरसती रहे। यह कृपा हमारे समाज, देश , विश्व में भी बरसे। यह पर्व  जन- मन को  एकता, प्रेम, सहयोग, भाईचारा, शांति के सूत्र में बाँधता है। सभी   कश्मीरवासियों  समेत सम्पूर्ण भारत और विश्व को  सुख , समृध्दि , सद्बुद्धि ,  खुशी दे। शुभ, संपन्नता का वरदान दें।  आतंक, डर फैलानेवालों को सद्बुद्धि दें जिस से समाज  को बंदूक की गोलियों और बम विस्फोटों  के दानवों से  मुक्ति मिले । 

यही मेरी   मंगल कामना है कि देश , विश्व में प्रेम , अमन , शांति , अहिंसा , मैत्री से जन- जन जुड़ जाए। 
....

आलेख - मंजु गुप्ता 
पता - वाशी , नवी मुंबई
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल - editorbejodindia@yahoo.com