Thursday 5 September 2019

मनु कहिन (9) - अवकाश प्राप्ति

जीवन की सुखद दूसरी पारी का राज

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बीते ३१ अगस्त को हमारे कुछ सहयोगी अवकाश प्राप्त कर गए। सभी लोगों ने अपने अपने ढंग से, रिश्तों की गहराई एवं मर्यादा के अनुसार औपचारिकताएं निभाईं। उनके सुखी एवं स्वस्थ जीवन के लिए शुभकामनाएं दीं।हालांकि, कार्यालयों के वातावरण मे अमूमन आपस में अनौपचारिक रिश्ते नही पनपते । सारे रिश्ते एक ही शब्द 'कलीग' में समाहित हो जाते हैं।

खैर! नौकरी की शुरुआत अगर आपने की है तो यह दिन तो देखना ही पड़ेगा कुछ अपवादों को छोड़कर। यह एक ऐसा दिन है, जिसकी तिथि  आपके नौकरी मे आने के साथ ही मुकर्रर हो जाती है।

अवकाश प्राप्ति के दिन आपके अपने कार्यालय मे एक छोटे से समारोह का आयोजन कर, आपको, आपके आनेवाले समय के लिए शुभकामनाएं देते हुए,  प्रचलित परंपरा के अनुसार, एक दुशाला ओढ़ाकर एक छोटे से ब्रीफकेस में गीता रख भले ही उसकी आपके जीवन में प्रासंगिकता रही हो अथवा नही, आपको विदाई दे दी जाती है।

आप अपने जीवन की दूसरी पारी खेलने के लिए स्वतंत्र होते हैं। पर, यह तब होता है, जब आपने पहली पारी में अपनी जिम्मेदारी अच्छे तरीके से निभाई है। बड़ा ही अजीब एहसास है - अवकाश-प्राप्ति। लोगों के ख्याल बदल जाते हैं आपके प्रति। आपका भी जीवन को लेकर नजरिया बदल जाता है। अचानक से ऐसा लगता है मानो किसी ने ब्रेक लगा दिया हो। आपको 'प्लैनिंग' करनी होती है।

पर भाई , इन सबसे परे है अवकाश प्राप्ति। आपने अपना सामाजिक दायरा कैसा बनाया है, किस तरह से अपने सामाजिक एवं पारिवारिक दायित्वों का निर्वहन किया है, जीवन के प्रति क्या सोच रही है आपकी? बहुत कुछ पर निर्भर करता है यह। जीवन की दूसरी पारी में ऐश करते हैं, और बड़े ही आनंद और सुख के साथ खेलते हैं वे लोग जिन्होंने अपने जीवन  में नौकरी के साथ ही साथ अपना सामाजिक दायरा नौकरी से अलग बनाया है। सामाजिक और पारिवारिक दायित्वों का निर्वहन एक संतुलन के साथ किया है।

दूसरी पारी वैसे लोगों के लिए कष्टप्रद है जिन्होंने घर, परिवार, समाज से अलग सिर्फ और सिर्फ ऑफिस को ही जिया है, ऑफिस के साथ ही जीवन बिताया है! आप ऐसा कह सकते हैं कि इन लोगों ने अपने आप को कभी भी औपचारिक माहौल से अलग देखा ही नही है, घर- परिवार, समाज तो क्या कभी अपने लिए भी ऑफिस से इतर जगह नही ढूंढी है, उनके लिए अवकाश प्राप्ति के बाद जीवन की दूसरी पारी से सामंजस्य स्थापित करना एक बड़ा ही मुश्किल काम है।

अब तो यह आपके उपर निर्भर करता है कि आप अवकाश प्राप्ति के बाद अपनी दूसरी पारी सुख-आनंद एवं स्वस्थ शरीर के साथ जीना चाहते हैं या फिर!!
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आलेख -  मनीश वर्मा
लेखक का ईमेल - itomanish@gmail.com
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