Saturday 24 August 2019

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर विशेष कुण्डलियाँ /कवि - बाबा बैद्यनाथ झा

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर विशेष

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 "कुण्डलिया छंद"
              
          1             
बढ़ता है जब-जब यहाँ, अतिशय  पापाचार।
हर युग के अनुरूप ही, हुआ कृष्ण अवतार।।
हुआ कृष्ण अवतार, पाप का नाश  किया है।
भक्तों  को  दे  त्राण, दुष्ट  को   दंड  दिया है।।
गीता  सा  सद्ज्ञान, मिला तो जग है पढ़ता।
आते हैं भगवान, पाप जब अतिशय बढ़ता।।

      2            
गीता  में  तो  है  भरा,  तत्वज्ञान  का  सार।
जिससे होता है सुलभ, नर तन  का उद्धार।।
नर तन  का उद्धार, पार्थ  थे  मात्र  बहाना।
चाह रहे थे कृष्ण, जगत को  भिज्ञ कराना।।
त्राहि-त्राहि  सर्वत्र, धरा थी  जब भयभीता।
देने आये कृष्ण, अलौकिक अनुपम गीता।
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कवि - बाबा बैद्यनाथ झा 
ईमेल - jhababa55@yahoo.com
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