श्रावण मास की पूर्णिमा का भारतीय संस्कृति में विशेष महत्व है. इसी दिन भाई बहन के रक्षाबंधन का पवित्र पर्व मनाया जाता है. साथ ही यही विश्व संस्कृत दिवस भी है. इस बार 2019 ई. में अद्भुत संयोग था कि इसी दिन स्वतंत्रता दिवस का राष्ट्रीय पर्व यानी 15 अगस्त पड़ा. इस प्रसन्नता की त्रिवेणी के अवसर पर दोहा विधा में महारथ प्राप्त भारतीय संस्कृति से अत्यधिक लगाव रखनेवाले गुणी साहित्यकार बाबा बैद्यनाथ झा अपने दोहे प्रस्तुत कर रहे हैं-
संस्कृत के विद्वान सब, जब हैं मंचासीन।
दीप दिखाऊँ सूर्य को, यह विचार ही हीन।।
मेरी भाषा मैथिली, संस्कृत में हूँ मंद।
प्रस्तुत हूँ लेकर यहाँ, अपने "दोहा छंद।।"
मना रहे हैं हम यहाँ, "संस्कृत दिन" सब आज।
सभी प्रफुल्लित विश्व में, हर्षित विज्ञ समाज।।
देवों की भाषा यही, जिसका संस्कृत नाम।
सृष्टिकाल से आज तक, यह है मधुर ललाम।।
वेदकाल से देख लें, वर्तमान साहित्य।
संस्कृत पद-विन्यास में, अद्भुत है लालित्य।।
हैं भाषाएँ आर्य की, संस्कृत से निष्पन्न।
वैज्ञानिकता से भरी, सब हैं अति सम्पन्न।।
भारत और युरोप की, भाषा इक परिवार।
यह कैसे संभव हुआ, इस पर करें विचार।।
भारत का ही विश्व पर, था अपना अधिकार।
इसीलिए तो हो गया, संस्कृत का विस्तार।।
देगी जब सरकार यह, इस संस्कृत पर ध्यान।
उसी समय से देश का, होगा अति उत्थान।।
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रक्षा बन्धन पर्व पर विशेष दोहा-दशक
आयी सावन-पूर्णिमा, रक्षाबन्धन पर्व।
होता है हर बहन को, निज भाई पर गर्व।।
एक बहन जिसको नहीं, भाई वही उदास।
जिस भाई को है बहन, वह करता उल्लास।।
अरे दुष्ट अब शर्म कर, तुम कैसे माँ-बाप?
गर्भ-पात के पाप पर, बेटा देगा श्राप।।
जिस घर में बेटी नहीं, वह घर एक मसान।
बेटी से सुख-सम्पदा, बढ़े आप लें जान।।
बहनें भाई के लिए, माँगे यह वरदान।
पढ़-लिख कर वह योग्य हो, बने सफल इंसान।।
भाई भी देता वचन, रक्षा का ले भार।
बना रहे भाई-बहन, का अद्भुत यह प्यार।।
नारी है तो सृष्टि है, यह है सबको ज्ञात।
हत्या करना भ्रूण की, मत सोचो यह बात।।
बहनें जो हैं अग्रजा, देकर आशीर्वाद।
चाहेंगी कल्याण वे, करती रहतीं याद।।
सब बहनें हैं जा रही, निज भाई के पास।
बाट जोहतीं साल भर, आए सावन मास।।
भाई-बहनों का यही, है अद्भुत त्योहार।
बिना स्वार्थ के बांटते, ये आपस में प्यार।।
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कवि - बाबा बैद्यनाथ झा
कवि का ईमेल - jhababa55@gmail.com
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