कविता
आज फिर जागा है प्रेम
देश के लिए
सुना है कि
आजादी की तारीख आई है
रोज रोज
कौन जताता है प्यार
देश के लिए
पर आज
आजादी की तारीख आई है
थक जातें हैं हम
हर दिन के काम से
उदास होते हैं हम
हर दिन के टकराव से
पर आज थोड़ा खुश हैं
छुट्टी का एक दिन लाई है
आज आजादी की
तारीख आई है
कोसते हैं रोज
अपनी ही धरती को
जिसने हमें भारतीयता की
दिलवाई पहचान
पर आज तो जाग उठा है
देश पर अभिमान
वो क्या है न कि
आज आजादी की तारीख आई है.
....
कवि - अभिनव यादवपरिचय - प्रथम वर्ष, आईटीएम बिजनेस स्कूल, खारघर (नवी मुम्बई)