Thursday 8 August 2019

मनु कहिन (8) - तहजीब

सामाजिक व्यवहार और बोलचाल 
तुम -ताम, तू - तडाक की भाषा

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हम सभी बचपन से ही एक बात सुनते हुए बडे हुए हैं। आज के बच्चे भी शायद इस बात से इत्तेफाक रखेंगे। भारतवर्ष, जी हाँ! हमारा, हम सभी का अपना, प्यारा भारत देश। विविधताओं से भरा हुआ। विभिन्न जातियों, समुदायों, वर्गों, धर्मों, भाषाओं और न जाने कितने प्रकार मे बँटा यह देश जहाँ हर दस किलोमीटर की दूरी पर भाषा, आचार विचार एवं व्यवहार बदलता हो,  फिर भी हम एक हैं। हमारी संस्कृति, हमारी सोच एक है। हमारी विचारधारा एक है। 

हम यहाँ बात करेंगे हमारे देश की भाषाई तहज़ीब की। तमाम तरह की विविधताओं के बावजूद वो एक है। भारतवर्ष में बोली जाने वाली शायद ही कोई भाषा होगी जिसमें अपने से बड़ों के प्रति आदर और सम्मान एवं छोटे के प्रति स्नेह न हो। हम तो भाई अनजान व्यक्ति चाहे वो हमसे किसी भी प्रकार से छोटा हो या बराबरी मे हो, हम उसके प्रति भी आदर और सम्मान का भाव रखते हैं। तुम -ताम, तू - तडाक की भाषा तो हमारी संस्कृति में है ही नही। भाषा ही तो आपकी पृष्ठभूमि, आपका शैक्षिक स्तर, आपकी सोच, आपकी 'ग्रूमिंग' बताती है। आप समाज के अति प्रतिष्ठित परिवार से ताल्लुक रखते हों, आपकी पढ़ाई लिखाई देश दुनिया के सर्वश्रेष्ठ स्कूल और कॉलेज से हुई हो, तो क्या ! अगर आपको समाज में कैसे व्यवहार करना है, अगर वो नही आया तो सब बेकार है। निरर्थक है।

समाज में एवं व्यवहार में भी दो चीजों की कद्र की जाती है । एक पद की, दूसरे उम्र की। पद की इज्जत तो अमूमन सभी करते हैं। कभी उम्र की इज्जत भी करें। हो सकता है कि आपके कार्य स्थल पर  या फिर समाज में भी पिऊन या आपका अधिनस्थ कर्मचारी या फिर मुहल्ले समाज का कोई व्यक्ति जो पद और ओहदे में आपसे छोटा हो पर उम्र में बड़ा हो। भारतीय संस्कृति और सामाजिकता का यही तो तकाजा है कि आप उसके उम्र की कद्र करें।  तुम, तू-तडाक  की भाषा कहीं न कहीं आपको अपनों से दूर ले जाती है और आप अनजाने में ही सही बहुतों को अपना शत्रु बना लेते हैं। हो सकता है आप दिल से बुरे न हो पर आपका व्यवहार आपके व्यक्तित्व पर भारी पड़ रहा है।
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आलेख - मनीश वर्मा
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