कविता
(मुख्य पेज - bejodindia.in / ब्लॉग में शामिल हों / हर 12 घंटे पर देखिए - FB+ Bejod / यहाँ कमेन्ट कीजिए)
अंगिका के सिहारतै कौने
कौशिकी के सुधारतै कौने
एक मंचों पे सबके लानी के
बारी बारी पुकारतै कौने।
(अंगिका भाषा में)
शारदे में समाया किंकर
कौन सा गीत तू मैया को सुनाया किंकर
जो अचानक ही शारदे में समाया किंकर।
बीस वर्षों की मित्रता थी सहोदर जैसी
एक झटके में उस पारस को गमाया किंकर।
मान सम्मान में वो स्वर्ण-रजत देने को
सोलवां साल चुनिन्दों को बुलाया किंकर।
भेज दिल्ली के "ग़ज़ल-कुंभ" का न्योता हमको
आज कैलाश पे धूनी क्यों रमाया किंकर?
कार्यशाला में विधाकार बताते मिलकर
"कौशिकी" घर को अचानक ही रुलाया किंकर।
अंगिका के महासचिव खगड़िया वाले
तू तो संध्या के सपूतों को भुलाया किंकर।
...
कवि - सुधीर कुमार प्रोग्रामर
परिचय - प्रदेश महासचिव, अखिल भारतीय आगे का साहित्य कला मंच (बिहार)
चलाभाष- 9334922674 / 9128152258