Thursday 16 July 2020

मनु कहिन - आत्महत्या

विमर्श

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 जिंदगी कुदरत की एक बड़ी ही  अनमोल और खूबसूरत देन है। एक खुशनुमा अहसास  है। पर, आप देखें, हमारे देश में   छोटी-छोटी बातों पर जान ली और दी जाती है। ऐसा लगता है इसका कोई मोल ही नही। शायद, इस बात का लोगों को अहसास ही नही कि जिंदगी कितनी अनमोल और खूबसूरत हो सकती है !

जब आप हिंदुस्तान में मौतों का सिलसिला देखते हैं तो आप  पाते हैं की हमारे देश मे छोटी छोटी बातों पर लोगों की जान चली जाती है। सोचने पर मजबूर होना पड़ता है। आखिर ऐसा क्यों है? 

अब देखिए ना, आत्महत्या ! लोग आत्महत्या करते हैं ।वजह जानकर आप हैरान रह जाएंगे। बातें बहुत छोटी होती है। पर लोग अपनी जिंदगी से खेल जाते हैं। अब सोचिए जो जिंदगी कुदरत की खूबसूरत देन और एक खुशनुमा एहसास है,  बड़ी मुश्किल से जिंदगी आपको मिली है। और आप हैं कि इसे लेने पर आमादा हैं। क्या सोचते हैं आप ! आपके चले जाने से आपकी समस्या का समाधान हो जाएगा। बिल्कुल नहीं ! समस्याएं आपकी वही की वही रह जाएंगी। आपके जाने के बाद आपकी वह समस्या नासूर बनकर आपके परिवार समाज और चाहने वालों को टीसती रहेगी।  लोग आखिर आत्महत्या क्यों कर रहे हैं   ऐसी क्या वजह है आखिर नौकरी नही मिली तो आत्महत्या नौकरी या व्यापार मे परेशानी आई तो आत्महत्या । किसी ने कुछ कह दिया या प्रेम मे बेवफाई मिली या फिर किसी के ताने से परेशान होकर आत्महत्या।  पति-पत्नी मे लड़ाई हो गई तो आत्महत्या कर ली। लगा ली फांसी, लटक गए फंदे से । और नही तो ट्रेन के आगे कूद पड़े । जहर खा लिया । ऐसा लगता है मानो आत्महत्या करना बड़े ही फख्र की बात है। न सोचा न समझा, बस कदम बढ़ा दिया । ऐसा लगता है आत्महत्या करना चूरन की गोली खाने के सामान है जब चाहा ले लिया। 

हमारे देश में आत्महत्या अपराध है। भारतीय कानून की   धारा 309 के तहत आपको अपराधी ठहराया जा सकता है। आप को सजा दी जा सकती है। हालांकि मेंटल हेल्थ केयर एक्ट 2017 जो जुलाई 2018 में आया इसमें यह कहा गया कि आत्महत्या करने वाले व्यक्ति के विरुद्ध मुकदमा  नहीं चलाया जाएगा।  

पुराने समय की यदि हम बात करें । ऐतिहासिक संदर्भों की बात करें तो हम पाएंगे की एथेंस में बिना सरकार की अनुमति के सुसाइड अपराध माना जाता था। मृत शरीर को दफनाने से रोका जा सकता था। उनकी कब्र पर हेडस्टोन या मार्कर  लगाना मना था।

1670 ईस्वी में लुईस 14 वें के समय मे आत्महत्या किए हुए व्यक्ति के मृत शरीर को उसके सिर को नीचे रख खींचते हुए लाकर कूड़े के ढेर पर रख दिया जाता था। उसकी संपत्ति जब्त कर ली जाती थी। पुराने समय में ईसाई चर्च के वे लोग जो आत्महत्या का प्रयास करते थे उन्हें  समाज से बहिष्कृत कर दिया जाता था , और वे जो मर जाते थे उनको निर्धारित कब्रिस्तान से बाहर दफनाया जाता था। 19वीं शताब्दी में ग्रेट ब्रिटेन में आत्महत्या के प्रयास को हत्या के प्रयास के बराबर माना जाता था और इसकी सजा फांसी भी हो सकती। अन्य देशों मे भी बड़े कठोर कानून बने हुए थे ।

अभी हमारे देश में हालिया घटना मशहूर सिने अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के आत्महत्या का है। किस वजह से उन्होंने आत्महत्या की अभी तक इस बारे में कोई ठोस प्रमाण नहीं मिला है। इस बात के भी कोई ठोस प्रमाण नहीं मिले हैं की इस आत्महत्या के पीछे की आखिर वजह क्या थी ! आखिर क्यों,  एक वैसा इंसान जिसने अपनी फिल्मों मे हमेशा एक मजबूत किरदार को जिया है  चाहे हम उनकी फिल्म 'धोनी' की बात करें या फिर 'छिछोरे'  की ! कहीं से भी  ऐसा नहीं लगा की सुशांत सिंह राजपूत जैसा व्यक्ति आत्महत्या कर सकता है? वो इंसान ऐसा कर ही नही सकता था। पर, एक बात तो सच है कि सुशांत सिंह राजपूत ने आत्महत्या कर ली। अब वो हमारे बीच नही रहे। एक अच्छा भला करियर था उनका। आने वाले वक्त के सितारे थे वो। 

पर, क्यों किया उन्होंने आत्महत्या ।उन्हें यहां रहकर समस्याओं से संघर्ष करना चाहिए था। अपने लिए अपने साथ के लोगों के लिए एक लड़ाई लड़नी चाहिए थी पर, उन्होंने अपनी जिंदगी खुद से ही ले ली ? आखिर क्यों ? ऐसी परिस्थितियां क्यों बनी। आत्महत्या के पहले के क्षण काफी कशमकश भरे होते हैं। इतना आसान नहीं होता है आत्महत्या करने का निर्णय लेना । आप बहुत मजबूर होते हैं तभी आप इस तरह के कदम उठाते हैं। 

हमें सोचना होगा। पूरे समाज को समग्र रूप से सोचना होगा। क्यों हमारे बीच से कोई व्यक्ति इतना बड़ा कदम उठा लेता है और हम कुछ नहीं कर पाते हैं। यह कहीं ना कहीं  बच्चों के प्रति हमारी परवरिश की कमी बताती है। हमने उन्हें लाड़ प्यार तो बहुत दिया।  पढ़ाई में भी वो अव्वल रहे। अपने-अपने क्षेत्रों में अव्वल रहे हैं पर हम उन्हें यह सिखाने मे कहीं न कहीं  असफल रहे कि उन्हें बताया जाय कि विपरीत परिस्थितियों में कैसे जीना चाहिए। हमने उन्हें "इमोशनली बैलेंस" नहीं बनाया। हम सभी को बैठकर इस बारे मे सोचने की जरूरत है।
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लेखक मनीश वर्मा 
लेखक का ईमेल आईडी - itomanish@gmail.com
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