Monday 20 July 2020

सावन पर कविताएँ - सरोज तिवारी और वेद प्रकाश तिवारी

दो कविताएँ

(मुख्य पेज - bejodindia.in / ब्लॉग में शामिल हों / हर 12  घंटे  पर  देखिए -   FB+  Bejod  / यहाँ कमेन्ट कीजिए)




कैसा सावन?
कवयित्री - सरोज तिवारी




ना कोई झूला ना हीं  कजरी
बस गिरता बरसात जहाँ।

ना लहराता आँचल और
ना हीं सखियों का साथ जहाँ।

ना बच्चों की छपक-छपाक
ना कागज की नाव जहाँ।

ना थिरकन ना धुमा चौकड़ी
ना मस्ती का भाव जहाँ।

ना छतरी ना छतरीवाला
बिजली चमके यहाँ-वहाँ।

हरा-भरा कैसा यह सावन
सिमटा है संसार जहाँ।

ना शिव भक्तों का रेला
ना कांवरियों की धूम जहाँ।

ना हरहर बमबम गूंजे
ना कोई उत्साह जहाँ।

कैसा भय घुटन यह कैसी
डूब गया संसार जहाँ।

हर्ष-विषाद एक हो गए
सावन का आनंद कहाँ
.....

       
अबकी बार 
वेद प्रकाश तिवारी




अबकी बार सावन में नहीं करेगी 
कोई बिरहन अपने परदेशी का इंतजार 
बागों में झूले, सावन के गीत 
हाथों में मेहंदी, हरी चूड़ियां 
सब हैं उदास, अबकी बार
सावन में अबकी बार
नहीं जायेगा कोई कांवरिया
शिव के धाम
कोरोना के कहर के बीच
बिगड़ा है प्रकृति का ऐसा मिजाज
चाहे आए सावन या जाए आषाढ़
हो रही है लगातार 
बिन मौसम बरसात
कभी रिमझिम तो कभी मुसलाधार
कहीं आकाशीय बिजली का कहर
कहीं भूकंप, कहीं बाढ़
जिंदगी और मौत के बीच
जी रहा है संसार
चेहरा छुपाये बेबस निगाहों से
दूर से ही देख रहे है सब
एक दूसरे को
भय के वातावरण में 
सोचने को अब हैं विवश
मानव जाति ने डाला है 
प्रकृति के शिवत्व और शाश्वत सौंदर्य पर
ऐसा नकारात्मक प्रभाव 
इसलिए हो रहा है
उसके अनिष्टकारी स्वरूप से
हमारा साक्षात्कार ।
अंतिम विकल्प बचा है यही
अब जीना होगा सभी को
प्रकृति के साथ। 
....
रचनाकार - सरोज तिवारी और वेद प्रकाश तिवारी
प्रतिक्रिया हेतु इस ब्लॉग का ईमेल आईडी - editorbejodindia@gmail.com