Tuesday 30 June 2020

मेरे पास सिर्फ ग़ज़ल रही थी / डॉ. किशोर कुमार मीणा की रचनाएँ

1. मेरे पास सिर्फ ग़ज़ल रही थी

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रात ख्वाबों में वो मचल रही थी 
सितारों की बस्ती में चांदनी पल रही थी l 
फिर क्यों जीवन में अंधेरा लगा
पास में चिरागों की महफिल जल रही थी l
बार-बार ख्याल उस पर जाता
शायद ख्वाबों की ताबीर हमें छल रही थी 
मासूम दिल को छलनी करके
वो हमसे बेखबर रह रही थी l
खामोश चेहरा सूखे फूल की तरह था
, हंसी चेहरे से कोसों दूर ढल रही थीl
मोहब्बत की किताबे धुआं हुई
अश्कों की बारिश में गल रही थी l
जमी हुई दिल की हसरतें
ग़म की धूप से न जाने कब से पिघल रही थी l
हाथ में कलम, ख्वाब में वो, अश्क कागज पर गिरे
कलम तो बिना रुके चल रही थी l
चुपचाप, गुमसुम, उदास बैठा रहा था मैं
उस रात मेरे पास सिर्फ ग़ज़ल रही थी l
...

2. गैर

दर्द कुछ ऐसा दिया,
खुलकर भी रोया न गया l
जख्म ही कुछ ऐसे थे,
फूलों पर सोया न गया l
आग देखी, लपट देखी,
धुआं देखा जलते खतों का
दिल जलता रहा इस तरफ,
वो ख्वाब संजोते रहे l
तमन्ना टूटी, दिल टूटा
खंडहर हो गई अपनी दुनिया
सब कुछ लुट गया इस तरह 
वो चैन से सोते रहे l
ऐसी भी क्या साजिश हुई
मेरा घर मिट्टी का था 
उस पर क्यों बारिश हुई l
वो मेरे होकर भी मेरे ना हो सके 
'हिक' समझता रहा उन्हें अपना
वो गैर होते रहेl
...

कवि - डॉ. किशोर कुमार मीणा
परिचय - कवि, लेखक, व्यंगचित्रकार
कवि का ईमेल आईडी - editorbejodindia@gmail.com
कवि का पता - निरकारी कॉलोनी, नई दिल्ली -110009
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