Saturday 13 June 2020

मनु कहिन- पासवर्ड की दुनिया

ललित निबंध 

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क्या समय आ गया है! हम सभी पुरी तरह से तकनीक के गुलाम हो गए हैं ग़ुलाम शब्द हालांकि बहुत माकूल नही कहा जा सकता हैथोड़ा अटपटा सा लग सकता है! पर, वास्तविकता है ये! लंबे समय तक आप सच्चाई से नजरें नही चुरा सकते हैं अब आप खुद देखिए! कार्यालय पहुंचते हैं  फाइल सिस्टम अब लगभग खत्म होने को है ! कुछ बचा हुआ है पर , नही कह सकते , कब तक  कंप्यूटर खोल कर कार्यालय का काम शुरू होना है अब देखिए पासवर्ड चाहिए! अगर पासवर्ड गलती से भूल गए तो समझिए एक अजीब से जद्दोजहद से आप गुजरने वाले हैं  अब आगे बढिए मोबाइल मे पासवर्ड ! कंप्यूटर पर कुछ महत्वपूर्ण काम किया हुआ है तो फिर वो पासवर्ड प्रोटेक्टेड है सरकारी दफ्तर हो या गैर सरकारी निगम हो या निकाय छुट्टी लेनी है या भविष्य निधि में आवेदन करना है चाहे साल भर का अपनी उपलब्धियों का बखान करना है एचआरएमएस, पीएफ़एम्एस  से लेकर स्पैरो  तमाम तरह की व्यवस्था है! पर, फिर पासवर्ड की दुनिया! पासवर्ड प्रोटेक्टेड है ये सारी व्यवस्थाएं 

आप सोशल मीडिया पर हैं। फेसबुक हो या मैसेंजर ! ई-मेल हो या ट्विटर  हर जगह पासवर्ड!

 आज के संदर्भ मे आप इन चीजों से अपने आपको अलग नही रख सकते हैं अपने आप को अनुरूप बनाना ही होगा ! पासवर्ड की महत्ता को स्वीकार करना ही होगा ! हालांकि, मेरे व्यक्तिगत विचार से पासवर्ड का मतलब कुछ छुपाना हो सकता है! पर, ज्योंहि हम अपने जीवन मे अपने आसपास चाहे एटीएम हो, क्रेडिट कार्ड हो, या फिर ऑनलाइन बैंकिंग हो बिना पासवर्ड के दुनिया ही बेकार है ! पर, हां मोबाइल मे भूल कर भी पासवर्ड न डालें ! जरूरत के समय मे जब आप पर कोई मुश्किल आएगी और आप मोबाइल संचालन की स्थिति मे नही होंगे तो फिर कोई भी इसे संचालित नही कर पाएगा तब किस काम का आपका मोबाइल और पासवर्ड 

वर्तमान समय मे  रोज़मर्रा की ज़िंदगी मे तकनीक के बढ़ते हुए क़दम साथ ही साथ बढ़ते हुए अपराध और जालसाजी को देखते हुए जरुरत आ पड़ी है कि आप अपने किए गए कार्यों को और अपने बैंकिंग सिस्टम को पासवर्ड के जरिए सुरक्षित रखें

अब थोड़ा अपने से आगे बढ़ें! राष्ट्रहित मे बातें करें बात वैज्ञानिक अनुसंधानों की हो, सेटेलाइट लांच की हो या फिर पोखरण जैसी स्थिति की हो बिना पासवर्ड के काम करने की कोशिश भी कहीं न कहीं राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ समझौता होगा

हालांकि, साहब पासवर्ड की दुनिया कोई आज की दुनिया की बात नही है काफी पहले से ही किसी न किसी रूप मे पासवर्ड का इस्तेमाल होता आया है अली बाबा और चालीस चोर की कहानी जिन्होंने भी पढ़ी होगी वे खुल जा सिम सिम शब्द से जरूर वाकिफ होंगे यह पासवर्ड नही था तो और क्या था  पाठकों को यह भी पता होगा कि पासवर्ड भूलने की स्थिति मे कहानी मे अचानक एक मोड़ आ गया था! कोषागार की सुरक्षा मे रात्रि पाली मे तैनात संतरी पासवर्ड के आधार पर ही दोस्त और दुश्मन की पहचान करता रहा है हां, यह बात जरूर है कि आज हम और आप सभी की पासवर्ड पर निर्भरता बढ गई है ! कुछ तो हमलोगों ने बिना जरूरत का शौक पाल रखा है जहां जरूरत नही भी है वहां पासवर्ड का इस्तेमाल कर लेते हैं! वैसे आज के संदर्भ मे जहां  फेसलेस ट्रांजेक्शन की बात हो या फिर  ऑनलाइन बैंकिंग या खरीद बिक्री का मामला हो पासवर्ड की महत्ता और उसकी सार्थकता को नकारना बड़ा ही मुश्किल है आपकी पुरी की पुरी जिंदगी ही वस्तुत: पासवर्ड के इर्द-गिर्द घूमती है! हमलोग पुरी की पुरी जिंदगी एक अदद पासवर्ड की तलाश मे रहते हैं जो हमे हमारे अंतर्मन से हमारा खुद का साक्षात्कार करवा सके
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लेखक - मनीश वर्मा 
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