Tuesday 9 June 2020

मनु कहिन - सिद्धार्थ से बुद्ध तक

विमर्श 

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अक्सर मेरे मन मे एक विचार आता था। आखिर क्यों बुद्ध ने घर का परित्याग किया ! क्यों उन्हें सांसारिक जीवन से विरक्ति हुई ! राजकुमार थे वो! सुख, समृद्धि, वैभव से परिपूर्ण था उनका जीवन ! पत्नी थी बच्चा था ! फिर, आखिर क्या ऐसी परिस्थिति आ पड़ी कि उन्होंने संन्यास लेने का फैसला किया! 

आखिर क्यों, शादी के बाद नवजात शिशु राहुल और धर्मपत्नी यशोधरा को छोड़ पुरे विश्व को दुखों से मुक्ति दिलाने एवं सत्य दिव्य ज्ञान की खोज मे मध्यरात्रि मे राजपाट का मोह त्यागकर वन की ओर चले गए!

बहुत मंथन करने के बाद जो मैं समझ पाया और मुझे ऐसा लगता है कि शायद यह सही भी हो। राजकुमार सिद्धार्थ थे वो ! आनेवाले समय के भावी सम्राट! पर , कहीं न कहीं उन्हें लगता था **** कुछ नही है मेरे पास! जो कुछ भी है वो तो सिद्धार्थ के पास है! राजकुमार सिद्धार्थ के पास ! भावी सम्राट के पास! सब कुछ मिथ्या है! कुछ नही है मेरे पास! जीवन मरण सृष्टि का चक्र है! बस कहीं न कहीं यह सोच धीरे धीरे बलवती होती चली गई! परिणाम सबके सामने है! आज हम सभी उन्हें महात्मा बुद्ध के नाम से जानते हैं। मध्यम मार्ग की उनकी अवधारणा को आज विश्वव्यापी मान्यता है! उन्होंने पूरे विश्व को दुःख और उसके कारण और निवारण के लिए अष्टांगिक मार्ग सुझाया।

यह कहने की बात नही कि आज के जीवन संदर्भ मे बुद्ध का यह दर्शन कितना प्रासंगिक है।
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लेखक - मनीश वर्मा 
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