कविताएँ
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कविता-१ / सिद्धेश्वर
पिता का घर में, रहता है इंतजार
पिता है तो घर में, छलकता है प्यार!
पिता के बिना, हर रास्ता अधुरा
पिता है तो हर सपना, होता है पूरा!
जीवन की जीवंत अभिव्यक्ति है पिता!
मजबूत रिश्तों की, असीम शक्ति है पिता!!
स्कूल का बस्ता, कांपी, किताब है पिता!
सुख-दुःख के गणित का, हिसाब है पिता?
मां का स्नेह,परिवार का अनुशासन है पिता
सलीके का जीवन देनेवाला,प्रशासन है पिता
पिता के बिना, हर रास्ता है अधूरा
पिता है तो हर सपना होता है पूरा!
मां की बिंदी, सिंदूर, सुहाग है पिता!
संघर्ष की राह पर, दहकता आग है पिता!
जमीं है "मां', तो आसमान. है पिता
रोटी, कपड़ा और मकान है. पिता!
पिता संरक्षा, संयम, सुरक्षा का हाथ है
पिता नहीं तो,' मां'लहते भी, बच्चे अनाथ है।
....
कविता-२/ संतोष के चौबे
सदगुणों की खान मेरी जान मेरे पापा थे,
शायद सबके भाग्य से अंजान मेरे पापा थे,
सदा सींचा अपने मेहनत के पसीने से हमें,
देवता तुल्य पूजनीय इंसान मेरे पापा थे।
बचपन में लगा मुझे मेरे समान मेरे पापा थे,
थोड़ा बढा तो पाया मेरे सम्मान मेरे पापा थे,
जिम्मेदारियां निभाने की हदें इतनी लाँघी कि,
यदि इमारत है तो उसके निर्माण मेरे पापा थे।
मेरे लिए तो बहुत बड़े इम्तिहान मेरे पापा थे,
जहाँ हर कानून बनते वो विधान मेरे पापा थे,
भले शिक्षित कम रह गए हो लेकिन ज्ञान ऐसा,
कि कई ज्ञानियों से अधिक विद्वान् मेरे पापा थे।
क्षुब्ध हो तो अँधेरे से भी वीरान मेरे पापा थे,
अपने विरोधियों के लिए मशान मेरे पापा थे,
पर जो भी चला उनके बताये रास्ते पर समझो,
धर्म के मार्ग पर बुलाये वो अजान मेरे पापा थे।
हम सबके परेशानियों से परेशान मेरे पापा थे,
फिर भी जिंदगी पर एक एहसान मेरे पापा थे,
जब निराशाओं के बादल से क्षितिज पर निखरा,
बाद मुद्दत देखा खुश और हैरान मेरे पापा थे।
....
कविता-३ / चंदना दत्त
पापा
पापा है तो मान है
पापा जिन्दगी की शान है
पापा बिन हमारी जिंदगी गुमनाम है
पापा से दिन की जान है
पापा की बेटी जहान है
पापा की बातें विज्ञान है
पापा की बेटी में जान है
पापा के बिन हम बेजान है
पापा के जानेसे हैरान है
पापा के बिन जीवन सुनसान है
पापा जीवन के रस्ते की पहचान है
पापा और मां हमारे भगवान है.
...
माँ धरती आकाश पिता है
मन का दृढ़ विश्वास पिता है।
जीवन के तपते मरुथल में
मधुऋतु का आभास पिता है।
पिता नेह की शीतल छाया
और प्रेम का पावन मधुवन
जीवन के इस कुरुक्षेत्र में
नन्द यशोदा का वृन्दावन
त्याग तपस्या और साधना
का पावन इतिहास पिता है।
माँ धरती आकाश पिता है ।
मन का दृढ़ विश्वास पिता है।।
पिता मूल परिवार वृक्ष का
त्याग तपस्या की यह गाथा
जहाँ पहुँच कर सहज भाव से
देवों का झुकता है माथा
मानव जीवन की कविता में
सदगुण का अनुप्रास पिता है।
माँ धरती आकाश पिता है ।
मन का दृढ़ विश्वास पिता है।।
झूठे चारों धाम धरा के
झूठे जग के तीरथ सारे
सच्ची मातु पिता की सेवा
जीवन के ये सत्य सहारे
मानव की सुन्दर काया में
सांसों का उच्छ्वास पिता है।
माँ धरती आकाश पिता है ।
मन का दृढ़ विश्वास पिता है।।
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रचनाकार - सिद्धेश्वर / संतोष के चौबे / चंदना दत्त / अर्जुन प्रभात
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