Saturday 6 June 2020

भारतीय अग्निशिखा मंच के कवि सम्मेलन का 44वाँ दिवस 31.5.2020 को संपन्न

रुत सुनहरी हो गई है / प्रीत गहरी हो गई है 
श्रंगार रस को समर्पित था यह सम्मलेन 

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31.5.2020. भारतीय अग्निशिखा मॉच का ऑनलाइन कवि सम्मेलन काआज 44 दिवस श्रंगार रस पर आयोजित किया गया मंच की अध्यक्ष अलका पाण्डेय ने बताया की लाकडाउन और कोरोना जैसी महामारी से बचाव और घर रहकर देश विदेश में बैठे साहित्यकारों को एक मंच पर लाना हिंदी साहित्य का प्रचार प्रसार नित्य नया सृजन और नव साहित्यकारों को मार्गदर्शन देना और साहित्यकारों को सम्मान देना इस कार्यक्रम का मुख्या उद्देश था 
अग्निशिखा के संग काव्य के विविध रंग में हर बार नया  विषय होता है । आज के कविसममेलन में मुख्य अतिथि- अभिलाष अवस्थी (वरिष्ठ पत्रकार) निर्णायक - डा. अंरविद श्रीवास्तव- असीम मंचcसंचालन - डॉ अलका पाण्डेय. ,डॉ. प्रतिभा कुमारी पराशर , जनार्दन शर्मा , सुरेन्द्र हेगड़े , चंदेल साहिब थे
माँ शारदे की वंदना की अंजली तिवारी ने आभार - मधुवैँष्णवी ने व्यक्त किया। सबने सरस्वती वंदना के बाद कोरोना योद्धाओं का सलामी दी व कार्यक्रम शुरु किया

कार्यक्रम में पढ़ी गई रचनाओं की एक झलकी नीचे प्रस्तुत है - 
अभिलाष अवस्थी- 
एक खंजर भी मेरी जद में है

अंकिता सिन्हा जमशेदपुर झारखंड -
रब की दुआएँ तुझे मिलती रहेंगी
मेरी प्यार वफा़एँ तुझे मिलती रहेगीं

डॉ प्रतिभा कुमारी परासर - बिहार
आजकल बहुत याद आते हो
रात भर नींद भी चुराते हो ।

“चंदेल साहिब - हिमाचल“ -
पीताम्बर मोर मुकुट धारण कर
चाँदनी रात में मोहन वृंदावन आओ
फ़िर ख़्वाब अग़र हो जाओ तो ग़म क्या.

“डॉ अलका पाण्डेय “
प्रियतम किधर गए
सखी प्रियतम किधर गए 
सूने मन में आग लगा कर
नैनों से बिरहा बरसा कर
अधरों को मेरे तरसा कर
सांसों को मेरी महका कर
प्रियतम किधर गए।

“डॉ अरविंद श्रीवास्तव- दतिया
रुत सुनहरी हो गई है
प्रीत गहरी हो गई है 
आपसे मिलने की खातिर
बांह सागर है पसारे
और तुम उड़ते  गगन में
कह रहे ये चांद तारे

“मधु वैष्णव - जोधपुर “
अमृत रस की बहती मखमली रसधार,
समर्पण नेह  का आंचल ओढ़े चांदनी खिली

“सीमा दुबे - “
ना श्वेत श्वेत ना श्याम श्याम -
वह सुंदरता की प्रतिमा है।

“गोवर्धन लाल बघेल "गुँजन ---
आखेटक मे प्रवीण कामनी
               दीयो कलेजा छेद।
नयन कटारी वार कब
              लगी ना जाना भेद।।

“इन्द्राणी साहू "साँची" -
मोहिनी छवि है प्यारी ,
मुरली की धुन न्यारी ,
सुध बुध खोए सब ,
छलिया की प्रीत में ।

“ओमप्रकाश पांडेय, मुम्बई “ -
माथे की तेरी छोटी सी बिंदिया
नयनों के तेरे तीखे काजल
कानों मे छूमता ये तेरा झुमका
जब दिखता मेरे आंगन में
फिर और क्या चाहिए मेरे जीवन को ..

“सुनीता चौहान हिमाचल प्रदेश -
बहुत सुन्दर रूप है मेरा,
ये वादियां गुनगुना रही हैं ।
कुदरत ने अद्भुत श्रृंगार किया है
बहती नदियां ये सुना रही हैं ।

“दिनेश मिश्रा - इंदौर “
रास्ता उदास था क्यों कि
आज वो घर से न निकली।
पैड़ पौधें भी मुरझा रहे थे,
क्यों कि आज वो घर से न निकली।

“डाः नेहा इलाहाबादी दिल्ली” -
जुबाँ पे मेरी गुल फ़िसानी रहेगी 
हमारी  तुम्हारी  कहानी  रहेगी  ।
अँगूठी का मुझको नगीना बना लो
यही उम्र भर की निशानी रहेगी ।

“शुभा शुक्ला निशा”-
नारी तुम सौंदर्य शालिनी हो सौम्य शील पथ गामिनी हो
जग की असहय भीषण तपिश में
सुरसरिता की प्रदायिनी हो

“सुनीता चौहान हिमाचल प्रदेश -
🌸प्रकृति का श्रृंगार 🌸
बहुत सुन्दर रूप है मेरा,
ये वादियां गुनगुना रही हैं।
कुदरत ने अद्भुत श्रृंगार किया है,
बहती नदियां ये सुना रही हैं।

“डॉक्टर लीला दीवान “ -
झरोखे में बैठे इंतजार करूं तुम आओ तो मैं सिंगार करूं🌷

“अनिता झा - रायपुर “
पिया मन इज़हार लिए आई हूँ
आँखों में सिंदूरी ललाट लाली बन छाई

“डॉ ब्रजेन्द्र नारायण द्विवेदी”
शैलेश वाराणसी
"कस्तूरी केस तुम्हारे सुलझा सुलझा कर हारे
 लो बीत गई सारी रात 
हो सकी अभी ना पूरी बात
 मिलन तो शेष अभी है।"

“रागिनी मित्तल कटनी”
जबसे दिल मेरा तेरे दिल से मिला, हम भी सपने सजाने लगे।
चिट्ठियां तेरी पढ़ते गुसलखाने में,  अब हम बेवक्त नहाने लगे।

“पद्माक्षी शुक्ल, पुणे “ - 
श्रुंगार रससे, आंतर मन सजादे,
नयन बंध करके, ज्योति जगादे,
ढुंढ रही आज, मोहक मनमोहनको,
बंसी के सुरसे, स्पंदन जगादे,

“संजय कुमार मालवी आदर्श इंदौर - 
माँ आज तो क्या खूब सूरत लग रही हो,
रोज की तुलना मे आज ज्यादा सज रही हो ।

“मदन मोहन शर्मा कोटा”-
कपोलों पर
लज्जा की
भीनी सी
मुस्कान लिए
गर्म सांसों में

“आशा जाकड़”-
बागों में फूल खिले
फूलों से खुशबू मिलें
कलियाँ गुनगुना रही
आज सजना घर आ रहे

“वैष्णो खत्री  'वेदिका “'मध्यप्रदेश -
चल यूँ ही राजा वसन्त, बन जाएँ हम तुम।
अल्प समय में, सब सुख दे जाएँ हम तुम।

“डॉ पुष्पा गुप्ता बिहार”-
सांसों   में  बसते  हो  तुम                      
            तुमसे  ये  धड़कन चलती-

“रामेश्वर प्रशाद मुंबई”
आंखो का काजल,
मोतियों की माला।
चलती मदमस्त,
चितवन कातिलाना।।

“विजयकांत द्विवेदी” -
है खड़ी फूल परी
पूर्ण पराग भरी ।
चंचल है दोनों दृग
मुख है सलोना  ।

डॉ गुरिंदर गिल/ मलेशीया -
वसल की हर रात लिखती हूँ हिज्र का इज़हार लिखती हूँ
लिखती हूँ इश्क़ मोहबत, कलम से बस प्यार लिखती हूँ

“शकुन्तला पावनी - चंडीगढ़ -
लौकिक जगत में राधा कृष्ण का
प्रेम मानवी रूप में था
दोनो को इक्दुजे का साथ प्रिय

“कवि आनंद जैन,*अकेला,*-
कटनी मध्य प्रदेश
आम्र मंजरी फूली देखत, दुखिया दिल कुम्हलाये रै।
भंवरे कविता भले ही बांचें,
मन केसे मुस्काये रे।।

“डॉ मीना कुमारी परिहार” -
बड़ा संगीन  मसला है किसी से कह नहीं सकती
समझ लो सिर्फ इतना बिन तुम्हारे रह नहीं सकती

“मीना गोपाल त्रिपाठी अनुपपुर, कोतमा( मध्यप्रदेश -
घर मे नही है  दाना -पानी
न है पेट भर खाने को, हऔर
मधुशाला में भीड़ लगी है
अमृत का हाला पाने को !

“शेखर रामकृष्ण तिवारी अबुधाबी - 
हम सदा तैयार हैं, अभिव्यक्ति की वंदना से,
तुम डटे रहना सिपाही, द्वार पर अपनी वफा के।

“डा. साधना तोमर, बागपत, यू.पी. - 
प्रेम दीप  जला दो अब तो, हो ज्योतिर्मय ये संसार।
कहाँ  छुपे  हो मोहन मेरे, सुन  लो  करुण   पुकार।

“पदमा तिवारी दमोह “ -
मेरे पास नहीं कुछ मेरा जो भी है सब कुछ है तेरा
मैं तो हो गई तेरी श्याम पडू चरण में सिर धर के।।

 “द्रोपती साहू छत्तीसगढ़ - 
निर्झरिणी से मधुर सुर धारूँ,
सरिता सी बहती रहूँ स्वच्छंद।
कौन सा जतन मैं कर जाऊँ,
मेरे अंतर्मन में उठता अंतर्द्वंद्व।

“शरद  अजमेरा - भोपाल “ -
दिल की दुनिया आबाद तुमसे है ।
मिलने की फरियाद तुमसे है 
बस गए तुम मुझमें या खोगया हूूँ मैं तुममें ।बदल गई है दुनिया हमारी

“डॉक्टर धारा बल्लभ पांडेय 'आलोक', अल्मोड़ा, उत्तराखंड -
स्नेहमयी तू भावमयी तू,
तेरी अतुल कहानी।
शोभित षड् ऋतुओं की छवि से,
बहु भाषाअरु बानी।
बहु भाषा संस्कृति के जन-मन,
फिर भी एक ही प्रान।।....

“नीलम पांडेय गोरखपुर -
ऐसा नहीं कि मैं।
तुमसे प्यार नहीं करता।
हां यह सच है। कि मैं प्यार का
इजहार नहीं करता।
ऐसा नहीं कि मैं तुझसे
प्यार नहीं करता।

“मंजुला वर्मा जिला मंडी हिमाचल
सुषमा मोहन पांडेय, सीतापुर उत्तर प्रदेश”

“भावना सावलिया “
डॉ रश्मि शुक्ला प्रयागराज
मंजुला अस्थाना महंती
रानी नांरंग
अंजली तिवारी मिश्रा छ0ग0
सुषमा शुक्ला इंदौर
सुनीता अग्रवाल इंदौर मध्यप्रदेश
दीपा परिहार दीप्ति जोधपुर
डॉ संगीता पाल
शोभा रानी तिवारी - इंदौर
डा अँजुल कँसल"कनुप्रिया"इंदौर मध्यप्रदेश
डाॅ0 उषा पाण्डेय
कोलकाता
अर्चना पाठक निंरन्तर -
निहाल चन्द्र शिवहरे(झांसी)
अख्तर अली शाह "अनंत" नीमच(म.प्,)
उपेंद्र अजनबी गाजीपुर उ. प्र
हीरा सिंह कौशल मंडी
) मीरा भार्गव सुदर्शना कटनी
गीता पांडेय बेबी M.P
गीता शर्मा रायपुर
गणेश प्रसाद महाराष्ट्र
विष्णु असावा बदायूँ
वंदना रमेश चंद्र शर्मा देवास
रविशंकर कोलते नागपुर
जनार्दन शर्मा 
डॉ मेहताब अहमद आज़ाद
गणेश निकम महाराष्ट्र
डाॅ0 सुशील श्रीवास्तव सागर" सिद्धार्थनगर उ0प्र0
ज्योती जलज- हरदा
गरिमा - लखनऊ
शैलजा करोडे- मुंबई
प्रिया उदयन केरला
डॉ. गुलाब चंद पटेल
. डॉ. दविंदर कौर होरा - इंदौर
“मुन्नी गर्ग
“सुनील पांडे रायपुर”
“स्मिता धिरासरिया....बर बलराम सोनी विशिख- झाँसी “
सब लोगों ने रचनाऐ सुनाई ५/३० घंटे कार्यक्रम चला सबने बहुत आन्नद लिया
इस कार्यक्रम की विशेषता है की कोई छोटा बड़ा नही सब एक-दूसरे से से सीखने की इच्छा रखते हैं 7 / 6को “शहरीकरण प्रहार “विषय है
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रपट की लेखिका - डॉ अलका पाण्डेय
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