Tuesday 29 September 2020

कोलकाता डायरी - तीरेती बाजार (चाइना बाजार), कोलकाता / मनीश वर्मा

यात्रा-वृतांत

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महानगरों की एक खासियत होती है - स्वीकार्यता! शहर कोलकात्ता, अपवाद नही है . आप किसी भी धर्म,  मजहब,  संप्रदाय और जाति विशेष  के हों, यह शहर दिल खोल कर आपका स्वागत करता है! हां, पर अपने खालिस बंगला संस्कृति को बचाए रखने के लिए कोई मुरव्वत भी नही करता है! यहां पर आप पहले बंगाली हैं , फिर कोई और ! बात चाहे भाषा की हो या फिर संस्कृति की!

कोलकाता डायरी के इस सफर में हमारा अगला पड़ाव है तीरेती  बाजार! पुलिस मुख्यालय, लाल बाग, पोद्दार कोर्ट  के पीछे का , मध्य कोलकात्ता का एरिया!

यहां  रिपब्लिक ऑफ चाइना के प्रथम राष्ट्रपति श्रीमान सुन-यात-सेन के नाम पर एक गली है ! इस गली को इस शहर के लोग चाइना बाजार या ब्रेकफास्ट गली के नाम से जानते हैं. हालांकि, आमतौर पर कोलकाता शहर के भद्र जनों के लिए सुबह थोड़ी देर से होती है! पर, यह मार्केट सुबह-सुबह के नाश्ते और अन्य घरेलू चाइनीज खाद्य पदार्थ के सामानों के लिए प्रसिद्ध है. यहां पर आप विभिन्न प्रकार के चायनीज व्यंजन का आनंद उठा सकते हैं.

सुबह सुबह  विभिन्न प्रकार के चाइनीज नाश्ते की एक पूरी की पूरी श्रृंखला मौजूद होती है. विभिन्न किस्म के मोमोज से लेकर, तरह-तरह के सॉसेज और  चावल और तिल के बीज से बने मीठे तक. नाॅन वेज और वेजिटेबल आइटम्स की एक पुरी रेंज मौजूद है , शुद्ध और एकदम प्रमाणिक! यह एक ऐसा बाजार है जहां पर आप सिर्फ और सिर्फ चाइनीज लोगों के द्वारा ही बाजार लगा हुआ पाएंगे, पर वे भारतीय हैं. यह देश उनका भी है! यह शहर उनका है!  एक तरफ जहां हम चीन के बहिष्कार की बातें करते हैं. उनके सामानों के बहिष्कार की बातें करते हैं! पर, यहां यह देखना काफी सुखद होता है, इन लोगों के द्वारा अहले सुबह नाश्ते के लिए लगाया गया  बाजार. चीनियों के कोलकाता शहर में आने की शुरुआत 19 वीं शताब्दी के आसपास हुई थी. लगभग 1920 ई. में . कोलकात्ता शहर से कुछ दूरी पर बजबज नामक स्थान पर , वारेन हेस्टिंग्स के समय मे  टोंग अची ने सर्वप्रथम चीनी मिल की स्थापना की थी. आज भी वहां उनका एक पूजा स्थल है! बजबज मे आज भी चीनी समुदाय के लोग वहां आकर अपना नव वर्ष मनाते हैं.

अपने कोलकात्ता प्रवास के दौरान जब मैं यहां पहुंचा तो मैंने सोचा कहीं देर ना हो जाए, इसलिए मैं अहले सुबह 6:00 बजे ही वहां पहुंच गया. हालांकि, मुझे थोड़ी निराशा हुई. कोरोना की वजह से दुकानें पुरी तरह नही खुली थी   सब्जी मंडी सज ही रही थी.  एक तरफ चिकन तो दूसरी ओर विभिन्न किस्म की मछलियां बेची जा रही थी.  एक कोने पर मैंने सुअर को कटते हुए देखा. जो दुकानें लगी हुई थी उन्हीं लोगों मे से कुछ से मैंने बातें भी की. कुछ लोग बाहर से भी ग्रुप में आए हुए थे. लड़कों का एक ग्रुप.  ऐसा लग रहा था कि वह दूर से आए हैं . आजकल के युवाओं की पसंद बुलेट! जी हां , आठ- दस बुलेट बाइक पर सवार लगभग पंद्रह युवाओं की टोली वहां आई हुई थी. वे सभी इस बाजार मे विभिन्न किस्म के नाश्ते का लुत्फ उठाने कहीं दूर से आए हुए थे.  रविवार का दिन था . और जैसा हमे मालूम था , रविवार के दिन इस बाजार मे रौनक रहती है. पर, कोरोना ने यहां भी अपना खौफ बरकरार रखा था. दो प्रमुख दुकानें - Hop Hing और Pau Chong Store जिन्हें Pau Chong Brothers ने शुरू किया था  विभिन्न प्रकार के सॉसेज एवं राइस नूडल्स की दुकान. पर,वो बंद थी. थोड़ी निराशा हुई. पर, अगली मर्तबा आने का एक रास्ता भी रहा.
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लेखक - मनीश वर्मा 
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