Monday 24 August 2020

मनु कहिन - भगवान का हाथ

संस्मरण 

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बचपन में अमेरिका के राष्ट्रपति श्री अब्राहम लिंकन के संदर्भ में एक कहानी मैंने पढ़ी थी। आप इसे कहानी न कह कर एक वाकया भी कह सकते हैं। चलिए , आज अपने इस मंच मनु कहिन के माध्यम से इसे आप सभी के साथ शेयर करता हूं!बात कुछ ऐसी थी कि एक बार अब्राहम लिंकन ने अपने बेटे के शिक्षक को कहा आप मेरे बेटे को पढ़ाते हैं , उसे अच्छी शिक्षा देते हैं ।  अच्छी बात है । मैं यहां आपको जो आप उसे शिक्षा देते हैं उस संदर्भ में कुछ बताने नहीं आया हूं। मैं सिर्फ आपसे यह निवेदन करना चाहता हूं कि आप उसे बताएं कि जीवन में चाहे जितनी भी समस्या आए , कभी भी सच्चाई का दामन मत छोड़ना । सच बात कहने में कभी हिचकना नही। कभी भी सच्चाई से मुंह ना मोड़ना। जब आप सच्चाई का साथ देते हैं, और जब आप सच्चाई के लिए किसी के साथ खड़े होते हैं भगवान आपकी मदद के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं। ऐसा नहीं कि भगवान  खुद आ जाते हैं लेकिन जब आप परेशान होते हैं तब एक हाथ  जरूर होता है जो आपको परेशानी से निकाल ले जाता है यही वह हाथ भगवान का है। आप मेरे बेटे को इतना जरूर बताएं !

बचपन में पढ़ा हुआ यह वाकया मेरे दिलो-दिमाग पर इस तरह बैठ गया कि आज भी मैं इस पर अमल करता हूं ।चाहे कितने भी परेशानी आए सच कहने में कभी हिचकता नहीं हूं ।जो सच है , जो सही है, वह मैं जरूर कहता और करता हूं। हां, सच का साथ देने पर और सच्चाई कहने पर कुछ देर के लिए मैं परेशान जरूर होता हूं क्योंकि सच थोड़ा कड़वा होता है! कुछ देर के लिए मैं अपने आप को अलग-थलग जरूर पाया हूं ! पर अंततः जीत सच्चाई की ही हुई है !

कुछ ऐसा ही वाकया , अभी हाल में ही मेरे पटना से कोलकाता यात्रा के दौरान हुआ। मैं और मेरे बच्चे अपनी गाड़ी से सड़क मार्ग से पटना से कोलकाता जा रहे थे ! हालांकि  पटना से कोलकाता का सफर सड़क मार्ग के द्वारा लगभग 600 किलोमीटर का है! पर, अमूमन इसे तय करने में मिलाजुला कर लगभग 11 से 12 घंटे का वक्त लग ही जाता है। कहीं पर थोड़ा रास्ता खराब है तो कहीं पर डायवर्जन , जिसकी वजह सेआप लगभग 11 से 12 घंटे में कोलकाता पहुंच पाते हैं ।उस दिन भी हम लोग लगभग उसी हिसाब से चल रहे थे। रास्ते मे धनबाद मे थोड़ा सड़क जाम था । इसे  देखते हुए 1 घंटे की देरी हो सकती थी। पर, अचानक से रास्ते में एक जगह वर्धमान में  एक से डेढ़ घंटे का सड़क जाम लग गया । प्रत्यक्षतः कोई कारण समझ मे नही आ रहा था । शायद जोरों की बारिश एक वजह हो सकती  थी। वर्धमान से निकलते ही शाम का धुंधलका छाने लगा था। एक डर सा भी मन मे आ रहा था। शाम का धुंधलका, बारिश का मौसम और जीटी रोड का सफर , और मैंने कभी रात मे हाइवे पर ड्राइव नही किया था। खैर! एक बार दिल से भगवान को याद कर बढ चले। और कोई चारा भी नही था। वर्धमान के बाद कोलकाता के रास्ते में बहुत सारे गड्ढे जो सड़क पर बन गए हैं। वो अंफान के बाद कुछ ज्यादा ही खतरनाक साबित हो रहे थे। अंधेरे मे उसे 'नेगोशिएट' करना काफी मुश्किल हो रहा था! ऐसा ही कुछ उस दिन हुआ ! रात की वजह से रास्ते में एक गड्ढे को न देख पाने की वजह से गाड़ी का बाई तरफ का अगला चक्का गड्ढे में जा गिरा ! एक जोर की आवाज हुई। खैर धड़कते दिल से गाड़ी थोड़ी आगे बढ़ाया ।थोड़े आगे जाने के बाद उस जगह से आवाज आने लगी जब मैंने गाड़ी को रोका तो क्या पाया ! गाड़ी का बायीं तरफ का अगला टायर तो बिल्कुल बर्स्ट कर गया था और गाड़ी तो लगभग  रिम के सहारे ही चल रही थी। बरसात की अंधेरी रात , हाईवे का सफर,  साथ में बच्चे !  आस पास कुछ भी नहीं ! कोई रुकने को तैयार नहीं! बड़ी मुसीबत से किसी तरह हिम्मत जुटाकर हम और हमारे बच्चों ने टायर को बदलने की कोशिश की। पता नहीं नर्वस होने की वजह से या फिर कुछ और वजह थी हमलोग तमाम कोशिशों के बाद भी टायर नहीं बदल पाए ! अचानक ऐसा लगा ,अब क्या करें ? कुछ रास्ता नहीं सूझ रहा था ।आस पास कोई पेट्रोल पंप भी नहीं था । ना ही कोई छोटी सी दुकान या कोई व्यक्ति दिख रहा था , जिससे मदद की उम्मीद की जा सके। बस दिख रहा था तो हाईवे पर पसरा हुआ घुप्प अंधेरा , बारिश और हाइवे पर गुजरती हुई छोटी बड़ी गाड़ियां । रात गहराने लगी थी ! 

कोलकाता अभी भी लगभग ४० किलोमीटर दूर था! कुछ देर के लिए ऐसा लगा अब क्या करें । तभी वहां पर एक बाइक वाला आकर रुका। दो लोग बैठे थे उसपर ।  मैंने उससे कहा भाई थोड़ी मदद करो। हम स्टेपनी नही बदल पा रहे हैं। उसने कहा , आप चिंता बिल्कुल मत करें मैं हुंडई कंपनी का इंजीनियर आपको यहां इस अंधेरी रात मे देखकर मैंने गाड़ी रोक दिया है ।उसके मुख से ऐसा सुनकर लगा कि वास्तव में कोई न कोई हाथ ऐसा होता है जो शायद भगवान का ही होते हैं वह आता है और आपको मुसीबत से बचा कर ले जाता है।उसने स्टेपनी बदल दिया। मेरे पास उसे धन्यवाद देने को कोई शब्द नही था। या आप कह सकते हैं भावनाओं के अतिरेक मे मेरे मुंह से शब्द नही निकल पा रहे थे! मैंने सिर्फ उससे इतना ही कह पाया ,  भाई आपको देने के लिए मेरे पास कुछ भी नहीं है ! मैं आपको ढंग से धन्यवाद भी नहीं दे सकता हूं ! उसने कहा कोई बात नहीं ! मुझे अपने बचे हुए यात्रा के लिए शुभकामनाएं देते हुए वो चला गया! 

हम सभी मुसीबत मे भगवान् को याद करते हैं! क्या वाकई भगवान् अस्तित्व मे हैं ! अगर तर्क की कसौटी पर देखें तो यकीन नही होता है ! पर, विश्वास और आस्था इन सबसे परे है! आप विश्वास करें या न करें , अगर ईश्वर मे अपकी आस्था है, विश्वास है तो मुसीबत मे एक हाथ कटआएगा , जरूर आएगा और मुसीबत से आपको बचा कर ले जाएगा! 

वो भगवान का हाथ होगा ! 
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लेखक - मनीश वर्मा 
लेखक का ईमेल आईडी - itomanish@gmail.com
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