Wednesday 12 August 2020

कलयुग के नन्दलाल / कवयित्री - प्रियंका श्रीवास्तव 'शुभ'

कविता 

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यदि भगवान श्री कृष्ण उस युग मे होते तो उनकी छवि कैसी होती -

मेरे घर आए नन्दलाल बिरज से

ठुमक-ठुमक कर चलत हैं घर में

पांव की थपकी पैजनियाँ बजत हैं

गुस्सा में धरती पर नाक धरत हैं

मेरे नन्दलाल आपन बिरज में।


नाहि मिलत है माखन मिसरी

और    ना ही    दूध    मलाई

अंगूठे  को  मुख  में  धर कर

खूब ऊ  रस-पान   करत    हैं

मेरे नन्दलाल आपन बिरज में।


नाहि संग  ग्वाल-बाल  का

और ना ही  दही  की मटकी

प्याला फोड़ कर दूध चटत हैं

चॉकलेट, बिस्कुट  मुख में धरत  हैं

मेरे नन्दलाल आपन बिरज में।


बांसुरी  का अब  युग  नाहि

अब तो सीटी बजत है

कलयुग के हैं मेरे नन्दलाल

निद्रा में भी कलम हाथ धर

युग महिमा बखान करत हैं।

......

कवयित्री -   प्रियंका श्रीवास्तव 'शुभ्र'

कवयित्री का ईमेल आईडी - kinshukiveerji@gmail.com

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