Monday 3 February 2020

मिलन की लकीर नहीं बनाई / कवि - विजय भटनागर

कविता 

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मिला तो दिया रब ने पर मिलन की लकीर नहीं बनाई
यारों से कहा रास्ता बताओ तो तदबीर नही बताई।
बार बार पूछती है मेरी हमदम कब बजेगी शहनाई
मुझे कहना पड़ता है कि हमारे हिस्से वो नहीं आई।
रात मे जब तड़प कर मैं उठता हूं और कहता हूं
इश्क तो करा दिया मुकम्मल मुहब्बत नहीं कराई।
शायद मैं ही बदनसीब पैदा हुआ था इस जहां में
तूने तभी दो आशिकों के मिलन की तकदीर नही बनाई।
विजय को फख्र है फिर भी अपनी तकदीर पे दोस्तो
जग-सरिता में डाला तो चाहे मिलन की तीर नहीं बनाई।
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कवि - विजय भटनागर
परिचय - सेवानिवृत न्युक्लीयर साइंटिस्ट, आईटीएम काव्योत्सव,  नवी मुम्बई के मुख्य संयोजक
पता - खारघर, मुम्बई
कवि का मोबाइल - 9224464712
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल - editorbejodindia@gmail.com
नोट - अंतिम पंक्ति बदली गई है.
नोट- यह रचना व्याट्सप्प से प्राप्त सामग्री के आधार पर वयोवृद्ध रचनाकार श्रेणी" के अंतर्गत प्रकाशित की गई है. इसकी मौलिकता की जिम्मेवारी ब्लॉग की नहीं है.