Tuesday 18 February 2020

मनु कहिन (18) / कोलकाता डायरी *भाग- 4*

 "भोजो हरि मन्ना"
*गतांक से आगे*  कोलकाता डायरी

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"भोजो हरि मन्ना" बंगला 'कूसीन' के लिए एक मानी हुई जगह ।  हम हिन्दी भाषियों के लिए "भज हरि मन" । वैसे नाम से बहुत फर्क नही पड़ता है। "भोजो हरि मन्ना" की एक श्रृंखला है कोलकाता शहर मे। शाकाहारी और मांसाहारी दोनों ही तरह के भोजन को पसंद करने वालों के लिए एक बेहतरीन जगह। साफ सुथरी जगह। साफ सुथरी रसोई। काली पैंट और  पीली टी-शर्ट मे "वेल मैंनड"  बेयरे। कुल मिलाकर एक अच्छा  खुशनुमा माहौल। परिवार और दोस्तों को लेकर आप आ सकते हैं यहां। खाने का मेनु अंग्रेजी और बंगला भाषा मे। नाना प्रकार के मछलियों से बना भोजन। बहुत सारी मछलियों का तो नाम भी नही पता। जैसे पावदा जंबो, भेटकी पातुरी, चिंगडी बार बी क्यूं , कच्चे नारियल के खोपडे मे बना हुआ किंग साइज चिंगडी मछली ऐसे बहुत सारे डिशेज के नाम हैं जिन्हें आमतौर पर  हमारे जैसे लोग बिना बेयरे की मदद के नही चुन सकते हैं। 

हां, इन सबके बीच आप नाना प्रकार के स्वादिष्ट शाकाहारी व्यंजनों को नही भूल सकते हैं। लंबे खुबसूरत बासमती चावल का भात, मूंग की दाल एवं सुखतो जो कि एक  ट्रेडिशनल एवं लोकप्रिय  बंगाली सब्जी है।अमूमन हर घर मे पर्व त्यौहार एवं खास अवसरों पर बनाई जाती है। 

आप इसकी तुलना मकरसंक्रांति के अवसर पर आम बिहारी के घरों मे बनाई जाने वाली मिक्स सब्जी से कर सकते हैं। हालांकि थोड़ा अलग है यह। गुजरातियों के घरों मे उतरायण के अवसर पर उंधियू इसी तरह की एक डिश है।  बैंगन का भाजा और आलू की बिल्कुल पतली कटी हुई भाजी इसमे चार चांद लगाते हैं।

जैसे ही आप खाने का आर्डर करते हैं सबसे पहले आपके टेबल पर टूथ पिक लगी हुई हरी मिर्च और कच्चे नींबू की लंबी फांकों से भरी हुई एक छोटी कटोरी आपके समक्ष रख दी जाती है। साथ मे धनिए पत्ते की स्वादिष्ट चटनी। रखने का अंदाज बेहद खूबसूरत। 

एक ख़ास बात जो मैंने देखी कि अब तक हमलोग जानते थे और बातचीत के दौरान कहते भी थे - बंगालियों के माछेर  झोल से प्रेम के संदर्भ मे। पर, कोलकाता मे रहने के दौरान मैंने यहां अपने मित्रों के यहां भी खाना खाया और होटलों एवं रेस्तरां मे भी अगर आप झोल वाली मछली मांगेंगे तो आपको मछली के साथ झोल तो मिलेगा पर वैसा नही जैसा आप और हम अपने यहां खाते हैं। ग्रेवी वाली मछली मे झोल की मात्रा काफी कम होती है। 

अगर आपने सरसों के झोल वाली डिश पसंद की है तो इस बात की गारंटी है कि खालिस सरसों की खुशबू उसमे रहेगी ही। पोस्ता दाना का झोल वाली मछली आपने अगर मंगाया है तो पोस्ता की खुशबू लाजिमी है।

एक बात और जो मैंने अनुभव किया। हो सकता है, शायद मैं गलत हूं। दो तरह की मछलियों के प्रति बंगालियों का प्रेम जग प्रसिद्ध है। चिंगडी यानी 'प्रॉअंस' और इलिस यानी हिल्सा। मेरे व्यक्तिगत अवलोकन के अनुसार चिंगडी मछली ज्यादा लोकप्रिय है  पुराने पश्चिम बंगाल के लोगों के बीच में जबकि इलिस अर्थात हिल्सा बंगलादेश से संप्रति आए हुए  भारतीय लोगों के बीच! यहां के लोगों से बातचीत के दौरान ही यह अंतर स्पष्ट हो जाता है।
(क्रमशः)
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लेखक - मनीश वर्मा
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