Friday, 31 January 2020

बसंती हवा पुरवाई रे / कवयित्री -सिन्धु कुमारी

कविता

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  बसंती हवा पुरवाई रे
   रग- रग में मस्ती आई रे। 

मह-मह महके मन का मौसम
   नूतन रुत की अंगड़ाई  रे। 

गली में झूम नाचे गोरैया
   अंगना में फुदक वो गाई रे। 

कुहुँ कुहुँ कुहके कारी कोयलिया
 गूंजी उजड़ी अमराई रे। 

खेतों में हरियाली लेकर
 सरसों बाग पियराई रे। 
कवयित्री - सिन्धु कुमारी
पता -  पटना
कवयित्री का ईमेल - sindhukumari1985@gmail.com
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल - editorbejodindia@gmail.com