Saturday 26 October 2019

दीपावली मंगलमय हो! / कवि - बाबा बैद्यनाथ झा

"कुण्डलिया छन्द"

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               १                 
दीप  जलाएँ  नित्य  ही,  मिलने  पर  अवकाश।
ज्योति जले जब ज्ञान की, तब हो दिव्य प्रकाश।

तब   हो  दिव्य  प्रकाश, दिलाएँ  सबको शिक्षा।
बाँटें   प्रतिदिन  ज्ञान,  योग्य   से  लेकर  दीक्षा।।

जहाँ   अशिक्षित  लोग, गाँव  में  उनके  जाएँ।
देकर  शिक्षा  दान,  ज्ञान   का    दीप  जलाएँ।।

             २                
आती   शुभ   दीपावली,   दीप   जलाते  लोग।
एक  वर्ष   के   बाद  ही, आता यह  शुभ योग।।

आता यह शुभ योग, क्षणिक द्योतित जग होता।
            जले  ज्ञान  का  दीप, शुभ्र ज्योतित  मग होता।           

दिव्य ज्ञान  की ज्योति, सदा  सबको  है भाती।
रखता   है  जो  पास,  प्रतिष्ठा   दौड़ी   आती।।
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कवि - बाबा वैद्यनाथ झा
कवि का ईमेल - jhababa55@yahoo.com
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