Thursday 3 October 2019

माँ का लाल / कवयित्री - अलका पाण्डेय

कविता 

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दो अक्टूबर का दिन था
घर में बजी  बधाइयां
माँ का आया लाल था
किसानों का बेटा था
देश का वीर जवान था
कष्टों में जीना आता था
कर्मों का वह मसीहा था
ग़रीबों का वह रक्षक था
संघर्षों में जीना सीखा था
विश्व शांति का दूत था

छोटा क़द था बडी बातें
सादा जीवन उच्च विचार
नाम था जिनका -
लाल बहादुर शास्त्री
अपने मज़बूत इरादों से
पाक को हार दिखाई थी
“जय जवान ,जय किसान “
उनका प्यारा नारा था
आजादी की लडाई के
वे सच्चे सेवक थे

गांधीवादी विचारधारा के
वे अनुयायी थे
ताशकंद में विश्व शांति के दूत बन गये
चिर शांति अपनाई थी
पर तभी पूरा विश्व रह गया स्तब्ध
माँ का लाल सोया था
देश ने कर्मवीर खोया था
जय जवान जय किसान
नारा आज भी ज़िंदा है
शास्त्री को अमर बना गया
बच्चे-बच्चे को अनुशासन
सिखला गया
देश के सच्चे सपूत को
हम करते सलाम है
...
कवयित्री - अलका पाण्डेय 
कवयित्री का ईमेल - alkapandey74@gmail.com
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल - editorbejodindia@yahoo.com