ग़ज़ल
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तुम्हें मैं प्यार करती हूं तेरे बिन जीना मुश्किल है
कभी ख्वाबों में आ जाओ इसे सम्भालना मुश्किल है।
देखो सन्नाटा पसरा है बगिया में फूल नहीं खिलता
दिल की महफिल भी है सूनी, यहां गुल खिलना मुशकिल है।
कोई महताब नहीं इसके बिना सब में सितम ही हैं
किसी के पास आने से दरवाजा खुलना मुश्किल है ।
मेरे दिल पर तुमहारा ही सदा अख्तियार रहता है
बहुत समझाती हूं तुमको मगर समझाना मुश्किल है
धड़कता दिल जो मेरा है सुधा कहती तुम्हारा है
किसी के लाख कहने पर इसे धडकाना मुश्किल है।
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कवयित्री - डॉ. सुधा सिन्हा
कवयित्री का ईमेल - sinhasudha017@gmail.com
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