कविताएँ
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हाँ मैं स्त्री हूं
*मूल- सविता झा 'सोनी' (मैथिली)* / अनुवाद - मानस दत्ता
हाँ मैं स्त्री हूं
तभी तो हर बात पर
रोते-रोते भी
मुस्कुरा देती हूं
हाँ मैं स्त्री हूं।
मेरे स्वभाव केअनेक
रूप देखिए
सबमें शक्कर जैसे
मिल कर मिठास लाती हूं
मुझे पत्थर समझो या
फिर मोम का पुतला
मैं खुद ही अपने
दु:ख से स्नान कर लेती हूं
हाँ मैं स्त्री हूं।
तभी तो हर बात पर
रोते-रोते भी मुस्कुरा देती हूं
परिणय वेदी के
उन 'सातों वचन' को मान
आपके कदमों से कदम
मिला देती हूं
अगर थोड़ा सा भी
आप डगमगाते हो
मैं तुरन्त
सिहर जाती हूं
हाँ मैं स्त्री हूं !
तभी तो हर बात पर
रोते-रोते भी मुस्कुरा देती हूं
हाँ मैं स्त्री हूं ।
.......
कितना सुन्दर मेरा बिहार
कवयित्री - चंदना दत्त
रत्नजडित मेरा बिहार
मिला बुद्ध को ज्ञान जहां
पीपल बरगद आम जहां
चहुंदिस धान के खेत जहां
कर्मठ लोग से भेंट जहां
कितना सुन्दर मेरा बिहार
रत्नजडित मेरा बिहार
उच्चैठ भगवती का धाम जहां
हो गये कलिया कालीदास जहां
कोयल की कूक गुन्जार जहां
सुरभित पुष्पित उद्यान जहां
कितना सुन्दर मेरा बिहार
रत्नजडित मेरा बिहार ।
पनिभरनी की बोली संस्कृत जहां
शंकराचार्य हुए पराजित जहां
भारती मंडन गांव के गांव जहां
कपिल कणाद का भान जहां
कितना सुन्दर मेरा बिहार
रत्नजडित मेरा बिहार ।
लालदास की रामायण जहां
महासुन्दरी बिमला सी बामा जहां
राजनगर का नौलखा धाम जहां
सीता ने लिया अवतार जहां ।
कितना सुन्दर मेरा बिहार
रत्नजडित मेरा बिहार।
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मूल रचनाकार - हाँ मैं स्त्री हूँ (सविता झा सोनी)
अनुवादक - मानस दत्ता
मूल रचनाकार - कितना सुंदर मेरा बिहार (चंदना दत्त)
*श्री मानस दत्ता, श्रीमती चंदना दत्त के पुत्र हैं.
चंदना दत्त का ईमेल -
चंदना दत्त का पता - रांटी, जिला - मधुबनी (बिहार)
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