Sunday 19 April 2020

मनु कहिन (24) - जन्मदिन का केक

विमर्श

(मुख्य पेज - bejodindia.in / ब्लॉग में शामिल हों / हर 12  घंटे  पर  देखिए -   FB+  Bejod  / यहाँ कमेन्ट कीजिए





उम्र बढ़ने के साथ ही साथ, जब आप अपने दोस्तों से बातें करते हैं तो आपकी  प्राथमिकताएं बदलती रहती हैं। बातों का वो दौर जो स्कूल के दिनों मे था, जो विषयवस्तु  उस वक्त हुआ करती थी, वो काॅलेज के दिनों में नहीं थी ! प्राथमिकता बदल गई थी। बातों का दायरा बढ़ चुका था या यूं कहें बदल गया था। नौकरी मे हालांकि आपके 'कलीग्स' होते हैं, मित्रता के दायरे मे उन्हें शायद नही रखा जा सकता है। यहां भी प्राथमिकता कुछ और ही होती है। मेरे कहने का तात्पर्य यह है कि आप बदलाव को स्वीकार करें। वैसे भी बदलाव तो प्रकृति का शाश्वत सत्य है। 

अब कल की ही बात है। मैं और एक दोस्त बातें कर रहे थे। अगर ईमानदारी से कहूं तो बिना सिर-पैर की बातें ही कर रहे थे। और ये सारी बातें वाकई आप अपने दोस्तों से और वो भी बचपन के मित्र से ही कर सकते हैं। वैसे भी, 'लाॅकडाउन' मे टाइमपास करने के अलावा और किया भी क्या जा सकता है। ज्यादा समाचार सुनेंगे तो मालूम पड़ेगा "कोरोनावायरस पोजीटिव" तो नही हुए पर, "डीप डिप्रेशन" मे जरूर चले जाएंगे। सारे चैनलों पर एक ही बात ! पक सा जाता है बेचारा आदमी! भाई, वही दुरदर्शन का दौर ठीक था। समाचार का इंतजार किया करते थे। समय तय कर रखते थे। समाचार के वक्त आखिर करना क्या है ? समाचार तो सुनना ही है।  बाद मे एक चैनल और आया। डीडी मैट्रो ! भाई साहब एंटेना सही करते करते ही कार्यक्रम खत्म हो जाया करता था। एक दौर था वो! एक दौर आज का है ! चैनल्स की बाढ़ सी आ गई है। पर, एक बात है - कल एंटेना के पीछे भागते थे, आज प्रमाणिकता के पीछे दौड़ रहें हैं ! हमारा दौड़ना नही रूका है ! दौड़ना ही नियति बन गई है हमारी! 

अब, देखिए ना , कहां से शुरू किए थे और भागते हुए कहां से कहां पहुंच गए ! 

खैर! बात दो दोस्तों के बीच की थी। बातचीत चल रही थी जन्मदिन की स्वर्ण जयंती मनाने की। मैंने कहा भाई मना लो अपने उम्र की स्वर्ण जयंती। कल को किसने देखा है! हम कहां रहेंगे? बच्चे कहां रहेंगे? आज के इस भौतिकता भरे दुनिया मे किसी का क्या भरोसा" ई-कॉमर्स का जमाना है। सब कुछ- मतलब सब कुछ  अमेजन, फ्लिपकार्ट आदि आदि पर उपलब्ध है।  बच्चों के द्वारा बढ़िया-सा एक अदद केक और कुछ गिफ्ट अमेजन आदि आदि के द्वारा भेज दिया जाना है। 

यह आपका जन्मदिन हो या कोई और ऐसा दिन ! बहुत हुआ तो एक प्यारे-से ''एक्सक्यूज' के साथ विडियो चैट या स्काइप पर बातें हो जाएगी।  आपके और उनके शहरों में कहीं गोलार्ध का चक्कर रहा तो वह भी शायद मुश्किल हो! और हम अपने आप को और अपनी अर्धांगिनी को या यूं कहें एक दूसरे को बार बार यह समझने और समझाने की कोशिश करेंगे - देखा बच्चे हमारा कितना ख्याल रखते हैं ! हमारा जन्मदिन हो या फिर शादी की सालगिरह - मुबारकबाद देना कभी नही भूलते! देखो , कितना बढ़िया 'केक' भेजा है...............!  गिफ्ट भी बड़ा प्यारा है! हमारे पसंद का कितना ख्याल है उन्हें! समय मिलता तो जरूर आते। आखिर बच्चे हैं हमारे! जरूर कोई काम ऐसा आ गया होगा तभी तो नही आ सके !!

पर, हम दोनों पति-पत्नी वाकिफ हैं सच्चाई से। कैसे झुठला सकते हैं। बहुत मुश्किल है मन को समझाना।
.......

लेखक - मनीश वर्मा 
लेखक का ईमेल - itomanish@gmail.com
प्रतिक्रिया हेतु ब्लॉग का ईमेल - editorbejodindia@gmail.com