Wednesday 6 November 2019

छठ का प्रसाद और डाक पार्सल / हास्य-कथा

"परसाद पर तो सबका हक होता है न!

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जैसा अद्भुत पर्व है "छठ",चार दिनों की कठिन तपस्या, अखंड निर्जल व्रत! कहीं दंड प्रणाम  तो कोई सिर्फ जल में खड़ा हो रहा, तो कोई जल में घंटों खड़े रहकर सारे मानता के कोनिया, दौरा, सूप,तो नारियल अर्घ्य के साथ सुरुजदेव को चढ़ाता है।

और छठ की समाप्ति के साथ मिलता है आशीष के संग संग अंकुरी ,फल और उम्म्म .....घी में बने हुए अपूर्व स्वाद से भरपूर ठेकुआ! जितना मनभावन सुगंध होता है उतना ही मजेदार स्वाद! हम बिहारी इसे कभी-कभी यूं भी बनाया करते हैं। पर छठके ठेकुए जैसा स्वाद नहीं मिलता! लोग-बाग निस्संकोच विभिन्न घाटों पर घूम घूमकर प्रसाद मांग कर लेते हैं।

मेरी पड़ोसन और मित्र रीना के मायके में छठ होता था तो अकसर वो चली जाया करती और मायके की याद के संग प्रसाद भी लाती। पर सब दिन तो एक समान नहीं रहता,तो इस बार कुछ व्यस्तताओं के कारण घर नहीं जा पाईं। बड़ी दुखी हुईं और माँ से बराबर दुख व्यक्त करती रहीं। 

मां को भी बेटी पर पूरा ध्यान था सो  छठ के बाद मां ने एक बड़े डब्बे में भरकर बिटिया को पार्सल कर दिया। रीना को पता चला तो बड़ी गुस्सा भी हुईं कि इतनी-सी बात के लिए यूं हैरान-परेशान होने की तो जरुरत क्या थी!पोस्टल डिपार्टमेंट का क्या भरोसा; मिले ना मिले! फिर सबको बार-बार खुशी से आश्वासन भी देती थी कि पार्सल आएगा तो सबको बाटुंगी!

एक दिन शाम की चाय के बाद हमारे घर से अपने फ्लैट में पहुंचीं तो बगल वाली ने बताया; "अरे कहां थीं आप,अभी -अभी डाकिया पार्सल वापस ले गया।देखो, अभी मेन गेट पर नहीं पहुंचा होगा।" बेचारी रीना सरपट भागीं और डाकिया मेन गेट पर ही मिल गया। उसने फटाफट उसके कागज पर दस्तखत किया और पार्सल लेने को हाथ बढ़ाया।

हे भगवान! यह क्या पार्सल तो फटा हुआ है! एक बड़ा-सा स्टील का डब्बा, जिसमें कुछ नहीं तो चालीस-पचास ठेकुआ होता; उसमें बमुश्किल आठ -दस ठेकुआ ही हैं! वो तो उबल पड़ीं डाकिये पर,"ऐसा कैसे? मैं कंप्लेन करुंगी।" 

डाकिये ने इत्मीनान से कहा "अच्छा है, फिर ये डब्बा मुझे दे दो; वैसे भी परसाद पर तो सबका हक होता है न! जैसा मिला,लेकर आया हूं और अब तो वो भी नहीं मिलना।"

मरता क्या न करता, बेचारी हारकर पार्सल लेकर सलमा आगा बनी हुई चलीं आ रही थीं -
"दिल के अरमां आंसूओं में बह गए SSS"
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लेखिका - कंचन कंठ
लेखिका का ईमेल - kanchank1092@gmail.com
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