Tuesday 25 June 2019

वेद प्रकाश तिवारी की तीन कविताएँ

सफेद कपड़े



सफेद कपड़े पर काला दाग़
दिखता है बहुत साफ
यदि दाग हो पुराना
तो दिखती है
उसकी धुँधली छवि
जो कहती है
ये कपड़ा कभी रहा है दागदार
सफेद कपड़े के भीतर
छुपा है अनेक संदेश
जो प्रतीक है शांति का
इसे पहनने से पहले 
गुजरना होता है गहरे चिंतन से
और बनना पड़ता है उसके अनुकूल
तब होता है सफल
उसका उद्देश्य
पर सफेद कपड़ा
उस समय हो जाता है विवश
जब कोई इसे पहनकर
उसमें लगा देता है कालिख
और देता है
जागृति का संदेश। 
......


यमुना का दर्द

आज असहाय यमुना
अपने तट से निहार रही है
दिल्ली को
कहती है वह---
मैंने तुम्हें बचपन से सींचा है
माँ की भाँति
अपने मीठे जल से
हर युग में तुम्हें किया है तृप्त
जब- जब तुम गुलाम हुई हो
तुम्हें देखकर मेरा पानी रोया है
फिर अपनी बहती धाराओं से
दिया है साहस तुम्हें आगे बढ़ने का
मेरा जल 
तुम्हें दिया है नव जीवन
मुझे याद है
कृष्ण ने सबके हित के लिए
किया था कालिया नाग को
अपने वस में
और मेरे जल को बचाया था
बिषाक्त होने से
आज उसी कृष्ण की धरती पर
अपने हित के लिए
मुझे पिलाकर हलाहल
तुमने मेरे स्वरूप को
बना दिया है विषैला
जब कि मैं जीना चाहती हूँ
तुम्हारे बीच रहना चाहती हूँ
आखिर मैं भी तो तुम्हारी माँ हूँ । 
.....


निष्पक्ष बयान

यह सिर्फ भ्रांति है कि
कविता होती है
कवि की कल्पना मात्र
जिसे वो उतार देते हैं शब्दों में
पर कविता की वास्तविकता
जुड़ी है उस दर्द या पीड़ा से
जिसके अनुभव से गुजरा है कवि
चाहे वह अपनी हो या पराई
या हो शामिल संपूर्ण मानव समाज
या जुड़ा हो प्रकृति का कोई पहलू
इसी को अपनी लेखनी से
 कवि देता है मूर्त रूप
यदि पाठक निष्पक्ष भाव से
करे विचार
तो कविता बोल उठेगी
कि तुम भी हो कहीं न कहीं
मुझमें शामिल
कविता रखती है अपनी गरिमा
वह नहीं पसंद करती ओछापन
नहीं बँध सकती छन्दों में तब तक
जब तक कि वह न गुजरी हो
किसी गहरे अनुभव से
कविता समेटे रहती है अपने में
सुख- दुःख, उम्मीद, संवेदना, दर्द 
शक्ति,  और प्रोत्साहन जैसे
अनछुए पहलुओं को
तभी तो अत्यंत पुरानी कविता भी
हर युग में लगती है जीवंत। 
.....

कवि - वेद प्रकाश तिवारी 
कवि का ईमेल आईडी - vedprakasht13@gmail.com
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