ज़िंदगी के थेपेड़े
पटना 28.12.2019. आज दोपहर की ही तो घटना है। एक लड़के ने अपनी प्रेमिका के साथ हुई मामूली बहस के दौरान खुद को गोली मार अपनी जान ले ली।
क्यूं भाई, क्या हो गया है आजकल के लड़कों को? इतने इमोशनल क्यूं हो गए हो भाई! क्या मिला अपनी जान लेकर ! जिंदगी बड़ी ही अनमोल है! अगर, आप इतने मजबूत हो कि अपनी जान देने में थोड़ा सा भी वक्त नही लगाते हो, तो भाई फिर तो सोचने वाली बात है। इतनी कायराना हरकत क्यूं ? लड़की ने तुम्हारी बात नही मानी।बस इतनी सी तो बात थी। उसे लेकर इतना पोजेसिवनेस (अधिकार-भाव) क्यूं? क्या उसे यह अधिकार नही है कि वो अपने तरीके से, अपने दिमाग से सोच विचार कर निर्णय ले सके?
अपनी जान लेकर क्या मिला तुम्हें ! अपने परिजनों के लिए जिंदगी भर का दुख छोड़ गए। जब जब तुम्हारी याद आएगी, एक टीस सी उठेगी। एक हूक बनकर रह जाएगी तुम्हारी याद। फिर, जिसके लिए तुमने जान दिया, माना तुम उससे बेइंतहा प्यार करते थे! तभी तो ऐसा निर्णय लिया ! कभी एक पल के लिए भी सोचा, तुम्हारे इस तरह जान देने के बाद उसका क्या होगा? यह प्रेम लहरी पुलिसिया कार्रवाई मे उलझ कर रह जाएगी। किसी को कुछ नही मिला। नाहक जान दे दी। अरे, अभी तो जिंदगी शुरू हुई थी। बहुत आगे तक जानी थी। वैसे, तुम्हारा मरना ही शायद बेहतर था ! जिंदगी का सफर तो थपेड़ों के समान है। तुम कब तक बर्दाश्त कर पाते? जो जिंदगी का एक थपेड़ा बर्दाश्त नही कर पाया !
अब शायद, युवाओं के सोचने का वक्त आ गया है। अब भीड़ के पिछे चलने का नही वरन् नेतृत्व करने का समय है। अपने आप को , अपनी भावनाओं को संतुलित रखें। राह चलते यूं अचानक से अपनी जिंदगी कुर्बान न करें मेरे दोस्त! जब कभी ऐसी कोई समस्या आए, लोगों से बात करें। अपने आप से बात करें। हल जरूर निकलेगा। जिंदगी, यूं नही निकलेगी।
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आलेख - मनीश वर्मा
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