Tuesday 16 October 2018

बिहारी धमाका ब्लॉग के पाठकों की ओर से- 17.10.2018


Scene  of  the play - Muhabbat ki nisbat me kuchh by Kala kaksh

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आगे अलग-अलग पोस्ट के लिंक के साथ उन पर प्राप्त हुई कुछ प्रतिक्रियाएँ दी जा रही हैं. साथ ही अंत में प्रस्तुत है जियाउर रहमान से प्राप्त हुई उनकी कविता - "फिर भी माँ.
आप भी इस में अपनी बातों को शामिल करा कराने के लिए अपनी प्रतिक्रिया ईमेल से करें- editorbiharidhamaka@yahoo.com



पोस्ट का लिंक- http://biharidhamaka.blogspot.com/2018/10/with-poetic-english-translation.html

((भोजपुरी गज़ल अंग्रेजी पद्यानुवाद के साथ)  प्रतिक्रिया नीचे दिखिए-

Kusum Kothari

13 hours ago  -  Shared publicly
 
अद्भुत प्रतिभा का अपूर्व संगम
नमन आदरणीय
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हार्दिक धन्यवाद आपका कुसुम जी आदरणीय सतीश कुमार सिन्हा जी और हमारी ओर से..

Supriya Pandey

18 hours ago  -  Shared publicly
 
एतना अच्छा शब्द संयोजन,
इतना अच्छा रचना बा,
का का लिखी बड़ाई में
हम अज्ञान के बुझाते नइखे...
अतुलनीय रचना ब राउर
चरण स्पर्श
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Sunil Kumar

 day ago  -  Shared 
 
शानदार गज़ल, बेहतरीन अनवाद। आप दोनों महानुभावों को बधाई।
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बहुत बहुत धन्यवाद महोदय.यूँ ही आपकी ओर से अमृतवर्षा होती रहे उत्साह बढ़ता रहे.

yashoda agrawal

2 days ago  -  Shared publicly
 
आपकी लिखी ये रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" मंगलवार 16 अक्टूबर 2018
को साझा धन्यवाद!की गई है...............http://halchalwith5links.blogspot.com पर आप भी आइएगा ....
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Arun Kumar Lal Das

2 days ago  -  Shared publicly


जिनगी के सार तत्व के निचोर के रख देनी ह।

झूठ कहीं त मन काटेला
सांच बात कहाते नइखे।
आउ मन मकरंद अघाते नइखे।
रौरा( आपको) हमार उमीर लग जाइ।बहुत शुभकामना बा।
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वरिष्ठ कवि सतीश प्रसाद सिन्हा के ई ग़ज़ल वास्तव में बेजोड़ बा. राउर उत्तम प्रतिकिया हेतु दिल से आभार. (हमर भासा त्रुटि छमा करिह')
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पोस्ट का लिंक- htmlhttp://biharidhamaka.blogspot.com/2018/10/14102018.html

(लेख्य मंजूषा-14 अक्टटूबर 2018 )  प्रतिक्रिया नीचे दिखिए-

Sangita Govil

21 hours ago  -  Shared publicly
 
बहुत बेहतर तरीके से प्रस्तुति । मैं खुद को गौरवान्वित महसूस करती हूँ कि मैं इस जागरुक संस्था की सदस्य हूँ । समाज को इसके मध्यम से कुछ दे सकूँ यही आशा रखती हूँ।

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uday mishra

3 days ago  -  Shared publicly
 
Bahut badhiya. N dekh pane ka afsos rahega. Lekin ummid bhi fir kabhi manchan hua to mauka chhodne ki sochunga bhi nahi.
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Jaroor dekhna chahiye yah natak.
पोस्ट का लिंक- http://biharidhamaka.blogspot.com/2018/10/kashi-nath-pandeys-poetry-drama.html

(Drama  review  -  Muhabbat  ke  nisbat me kuchh)  प्रतिक्रिया नीचे दिखिए-




uday mishra

3 days ago  -  Shared publicly
 
Bahut badhiya. N dekh pane ka afsos rahega. Lekin ummid bhi fir kabhi manchan hua to mauka chhodne ki sochunga bhi nahi.
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Jaroor dekhna chahiye yah natak.



पोस्ट का लिंक-http://biharidhamaka.blogspot.com/2018/10/shahjahan-ke-aansoo-staged-by-kedar-in.html

(Drama  review  -  Shahajahan ke aansoo)  प्रतिक्रिया नीचे दिखिए-

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Kiran Singh

3 days ago  -  Shared publicly
 
Kindly make a correction .The play was staged on 4/10/2018 and not on 7/10/2018
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Really appreciate ,



zeaurrahmanjafri786 <zeaurrahmanjafri786@gmail.com>
To:editorbiharidhamaka@yahoo.com
13 Oct at 2:51 PM
Sent from my Redmi फिर भी माँ 
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उठते ही घर     ठीक   करेगी 
माँ फिर बिस्तर  ठीक   करेगी 
चावल हमें खिला देने       को 
कंकड़ पत्थर     ठीक    करेगी 
गीन के सिक्के चार   दफ़ा   में 
फिर ख़ुद छप्पर ठीक    करेगी 
धुंआ धुंआ इस घर  को कर  के 
कितने मच्छर   ठीक      करेगी 
इस ज़िद पे   हैं     काहिल  बेटे 
माँ ही   खण्डहर ठीक     करेगी 
सबने छोड़ दिए हैं         कपडे 
माँ है    नौकर ठीक       करेगी 
नहीं वो देगी    गन्दा      रहने 
लेकर पेपर    ठीक       करेगी 
हमें पता है     इन तिनकों   से 
नाक का बेसर    ठीक     करेगी 
देहरी पर भी    जाना हो     तो 
सर का आंचर ठीक       करेगी 
हो जितना दुःख फिर भी माँ तो 
तुलसी खाकर     ठीक    करेगी 
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-डा जियाउर रहमान जाफ़री 
हाई स्कूल माफ़ी वाया अस्थावां 
ज़िला नालंदा 803107बिहार 
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