Scene of the play - Muhabbat ki nisbat me kuchh by Kala kaksh |
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((भोजपुरी गज़ल अंग्रेजी पद्यानुवाद के साथ) प्रतिक्रिया नीचे दिखिए-
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Kusum Kothari
Supriya Pandey
Sunil Kumar
yashoda agrawal
Arun Kumar Lal Das
2 days ago - Shared publicly
जिनगी के सार तत्व के निचोर के रख देनी ह।
झूठ कहीं त मन काटेला
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Sangita Govil
21 hours ago - Shared publicly
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13 Oct at 2:51 PM
Sent from my Redmi फिर भी माँ
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उठते ही घर ठीक करेगी
माँ फिर बिस्तर ठीक करेगी
चावल हमें खिला देने को
कंकड़ पत्थर ठीक करेगी
गीन के सिक्के चार दफ़ा में
फिर ख़ुद छप्पर ठीक करेगी
धुंआ धुंआ इस घर को कर के
कितने मच्छर ठीक करेगी
इस ज़िद पे हैं काहिल बेटे
माँ ही खण्डहर ठीक करेगी
सबने छोड़ दिए हैं कपडे
माँ है नौकर ठीक करेगी
नहीं वो देगी गन्दा रहने
लेकर पेपर ठीक करेगी
हमें पता है इन तिनकों से
नाक का बेसर ठीक करेगी
देहरी पर भी जाना हो तो
सर का आंचर ठीक करेगी
हो जितना दुःख फिर भी माँ तो
तुलसी खाकर ठीक करेगी
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-डा जियाउर रहमान जाफ़री
हाई स्कूल माफ़ी वाया अस्थावां
ज़िला नालंदा 803107बिहार
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